नई दिल्ली। सेलेक्शन कमेटी की बैठक के बाद सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को उनके पद से हटा दिया गया. यह फैसला 2-1 से लिया गया. कमेटी में शामिल विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस फैसले पर असहमति जताई थी जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीस ए. के. सीकरी ने इसका समर्थन किया था. सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को बहाल करते हुए कहा था कि उन्हें हटाए जाने की प्रक्रिया गलत थी.
सीवीसी को कोई अधिकारी नहीं था कि कि सीबीआई चीफ को हटाए. सेलेक्शन कमेटी सीबीआई चीफ का चुनाव करती है और सेलेक्शन कमेटी ही उन्हें हटा सकती है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आलोक वर्मा ने पद संभाल लिया था.
कोर्ट ने आदेश दिया था कि वह कोई नीतिगत फैसले नहीं लेंगे लेकिन उन्होंने आते ही कार्यवाहक सीबीआई चीफ के एम नागेश्वर राव के आदेश को पलटते हुए उनके किए ट्रांसफर रद्द कर दिए थे. बताया गया कि नागेश्वर ने जिनके ट्रांसफर किए वे आलोक वर्मा से जुड़े लोग थे.
इसके बाद चयन समिति की बैठक हुई. चयन समिति में प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश और विपक्ष के नेता होते हैं. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपने प्रतिनिधि तौर पर न्यायाधीश ए. के. सीकरी को भेजा था.
बैठक के दौरान खड़गे ने कहा कि वर्मा को दंडित नहीं किया जाना चाहिए और उनका कार्यकाल 77 दिन के लिए बढ़ाया जाना चाहिए, क्योंकि इस अवधि के लिए वर्मा को छुट्टी पर भेजा गया था.
यह दूसरा मौका है जब खड़गे ने वर्मा को पद से हटाने पर आपत्ति जताई. सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा कि वर्मा के खिलाफ कुछ आरोप हैं, इसपर खड़गे ने कहा, ‘आरोप कहां हैं’?’
कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में कहा, ‘आलोक वर्मा को उनका पक्ष रखने का मौका दिए बिना पद से हटाकर प्रधानमंत्री मोदी ने एकबार फिर दिखा दिया है कि वह जांच-चाहे वह स्वतंत्र सीबीआई निदेशक से हो या संसद या जेपीसी के जरिए- को लेकर काफी डर में हैं.’
कांग्रेस के ट्वीट का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट किया कि खड़गे चयन समित के ऐसे सदस्य हैं जिन्होंने आलोक वर्मा की नियुक्ति पर भी असहमति जताई थी और उनके हटाए जाने पर भी.
वर्मा को भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोप में पद से हटाया गया. इसके साथ ही एजेंसी के इतिहास में इस तरह की कार्रवाई का सामना करने वाले वह सीबीआई के पहले प्रमुख बन गए हैं.