नई दिल्ली। सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के पद पर बने रहने को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्वीट कर सवाल पूछा कि आखिर पीएम सीबीआई चीफ को बर्खास्त करने की जल्दबाजी में क्यों हैं? उनका यह सवाल बुधवार को हुई चयन समिति की बैठक के ठीक एक दिन बाद आया है.
उनके इस सवाल के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वर्मा के खिलाफ मोदी सरकार बड़ा फैसला ले चुकी है. गौरतलब है कि चयन समिति में प्रधानमंत्री, विपक्षी दल के नेता और प्रधान न्यायाधीश शामिल होते हैं. राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीबीआई चीफ को हटाने की जल्दबाजी क्यों है? उन्होंने सीबीआई चीफ को चयन समिति के समक्ष अपना केस रखने की अनुमति क्यों नहीं देंगे? उत्तर – राफेल.’
राहुल गांधी आरोप लगा चुके हैं कि राफेल घोटाले को छिपाने के लिए मोदी सरकार ने सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को पद से हटाने का फैसला लिया था.
बुधवार को हुई चयन समिति की बैठक
सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के बारे में फैसला करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति की बुधवार को बैठक हुई. अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आलोक वर्मा को उनके पद पर बहाल कर दिया था, जिन्हें सरकार ने 2 महीने से भी अधिक समय पहले जबरन छुट्टी पर भेज दिया था.
अधिकारियों ने बताया कि लोक कल्याण मार्ग पर प्रधानमंत्री के निवास पर चयन समिति की बैठक हुई लेकिन उसके नतीजे के बारे में फिलहाल कुछ नहीं पता चल पाया है. सरकार की ओर से इस बैठक को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई. अधिकारियों ने बिना विस्तृत जानकारी दिए बताया कि समिति की जल्द ही दोबारा बैठक होगी.
नियमों के मुताबिक प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली इस समिति में चीफ जस्टिस या सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष शामिल होते हैं. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ए के सिकरी को इस बैठक में शामिल होने के लिए नामित किया था.
न्यायमूर्ति गोगोई उस पीठ का हिस्सा थे जिसने मंगलवार को वर्मा को सीबीआई निदेशक पद पर बहाल करने का आदेश दिया था. फिलहाल लोकसभा में कोई विपक्ष का नेता नहीं है क्योंकि किसी भी विपक्षी दल को कुल सदस्यों की 10 फीसद सीटें नहीं मिली थीं. मल्लिकार्जुन खड़गे लोकसभा में विपक्ष के सबसे बड़े दल कांग्रेस के नेता हैं. शीर्ष अदालत ने सरकार से अपने फैसले के हफ्ते दिन के अंदर ही समिति की बैठक बुलाने को कहा था.