वॉशिंगटन। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन की तरफ से बढ़ती सैन्य संख्या दोनों परमाणु शक्तियों के बीच सशस्त्र टकराव के जोखिम को पुख्ता करने का काम कर रही है. अमेरिकी इंटेलिजेंस कम्युनिटी के वार्षिक खतरे के आकलन में यह अंदेशा जताया गया है. यूएस इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और चीन में संघर्ष बढ़ने की स्थिति में अमेरिकी व्यक्तियों और हितों के लिए सीधा खतरा पैदा हो सकता है और अमेरिकी हस्तक्षेप की मांग भी की जा सकती है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2020 में भारत और चीन में हुए ‘घातक संघर्ष’ के मद्देनजर दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण बने रहेंगे. ऐसा तब है, जबकि दोनों देश आपसी तनाव को हल करने के लिए लगातार द्विपक्षीय सीमा वार्ता कर रहे हैं और कई मुद्दों पर सहमति बनी भी है. यूएस इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और चीन के बीच पिछले गतिरोध ने दिखाया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर लगातार हो रही छोटी-मोटी हिंसक झड़पें कभी भी तेजी से बढ़े संघर्ष में तब्दील हो सकती है.
उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख पर 30 महीने से ज्यादा समय से गतिरोध बना हुआ है. पैंगोंग झील इलाके में हिंसक झड़प के बाद पांच मई 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच गतिरोध पैदा हो गया था. चीन ने भारतीय सैनिकों पर बर्बर हमले करने के लिए पत्थरों, नुकीली छड़ों, लोहे की छड़ों और एक प्रकार की लाठी ‘क्लब’ का इस्तेमाल किया था. भारतीय सैनिकों ने जून 2020 में गलवान (लद्दाख) में एलएसी पर भारतीय सीमा की ओर चीन द्वारा एक चौकी स्थापित करने का विरोध किया था. इन झड़पों में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि चीन ने अपने चार सैनिकों के मारे जाने की बात स्वीकार की थी.
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ चल रहे सैन्य गतिरोध के बीच, रक्षा खुफिया एजेंसियों ने हाल ही में एक एडवाइजरी जारी की थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय सैनिक चीनी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. रक्षा खुफिया एजेंसियों की ओर से जारी परामर्श में कहा गया है, “सैन्य कर्मी और उनके परिवार चीन में मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने में सावधानी बरतें और जल्द-से-जल्द उसकी जगह किसी अन्य कंपनी का मोबाइल उपयोग करना शुरू करें.’