नई दिल्ली। कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के खिलाफ अमेरिका से शुरु हुआ आंदोलन #MeToo अब भारत पहुंच गया है. भारत में ये आशंका भी जताई जा रही है कि उत्पीड़न की ऐसी घटनाओं के मीडिया में मुद्दा बनने पर कंपनियां महिलाओं को नौकरी देने में संकोच कर सकती हैं. इस पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टिन लेगार्ड ने कहा कि अगर ऐसा होता है तो कंपनियां बेहतरीन टैलेंट से हाथ धो देंगी.
कंपनियों द्वारा महिलाओं को नियुक्त नहीं करने की आशंका पर उन्होंने कहा, ‘कंपनियों को ऐसा वर्कफोर्स नहीं मिलेगा और वो उनका लाभ नहीं ले सकेंगी, जो सुपर क्वालिफाइड है, बहुत अधिक कुशल है और योगदान देने के लिए हमेशा तैयार रहता हैं.’ क्रिस्टीन से इकनॉमिक टाइम्स के एक इंटरव्यू में पूछा गया था कि क्या मीटू कैंपेन से कॉरपोरेशन महिलाओं की नियुक्ति को लेकर बाधक और शायद अनिच्छुक हो सकते हैं.
महिलाओं को आगे बढ़ाएं
उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट और नीति निर्माताओं को चाहिए कि महिलाओं को दूर रखने की जगह वे भेदभाव दूर करने और महिलाओं को आगे बढ़ाने पर जोर दें. उन्होंने कहा, ‘संस्थान के सभी प्रबंधकीय स्तर में शीर्ष स्तर पर महिलाएं जितनी अधिक होंगी, तो ऐसी भयानक कहानियां कम सुनने को मिलेंगी.’
क्रिस्टीन ने कहा कि सबसे पहले तो इन दो बातों पर ही ध्यान देने की जरूरत है. कार्यस्थल पर भेदभाव को दूर किया जाए और उच्च पदों पर महिलाओं को बढ़ावा दिया जाए. इसके अलावा उत्पीड़न से लड़ने के लिए सख्त कानूनी प्रावधान होने भी बहुत जरूरी हैं. भारत के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यहां एक कानूनी व्यवस्था है और रूल ऑफ लॉ के प्रति सम्मान है और इसमें उत्पीड़न विरोधी प्रावधान भी शामिल होने चाहिए.
भारत की विकास यात्रा
आईएमएफ द्वारा भारतीय मूल की गीता गोपीनाथ को मुख्य अर्थशास्त्री बनाए जाने पर क्रिस्टीन ने कहा कि वो बहुत अधिक प्रतिभाशाली हैं और उन्हें गर्व है कि आखिरकार आईएमएफ में एक महिला मुख्य अर्थशास्त्री हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर अगर सबसे अधिक नहीं भी रही, तो भी टॉप तीन में रहेगी ही. इसलिए भारत में काफी विकास होने वाला है और कई कारक हैं जो इस बात का समर्थन करते हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर कुछ चिंताएं भी हैं.