नई दिल्ली। देश की अदालतों पर मुकदमों के लगातार बढ़ते बोझ से निपटने को लेकर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में सीजेआई गोगोई ने बढ़ते लंबित मुकदमों का जिक्र किया है. सीजीआई गोगोई ने पीएम मोदी लिखा है कि अदालतों में कई सालों से हजारों मामले में लंबित पड़े हैं, जिनके निपटारे के लिए जजों की संख्या बढ़नी चाहिए.
साथ ही चीफ जस्टिस गोगोई ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी में हाई कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट आयु सीमा को बढ़ाने का सुझाव दिया. अभी हाई कोर्ट में जजों की सेवानिवृत्ति की उम्र 62 साल है. सीजेआई गोगोई ने इसे 65 साल करने को कहा है. उन्होंने चिट्ठी में हाई कोर्ट के जजों की संख्या बढ़ाए जाने का भी सुझाव दिया है. बता दें कि इन दोनों ही मामलों में सरकार को संविधान में संशोधन करना होगा.
प्रधानमंत्री के नाम चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के पत्र में साफ है कि अभी सुप्रीम कोर्ट के जजों की संख्या के मुताबिक तो संविधान संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए जरूरी है कि पांच जजों की कई संविधान पीठ बनाई जाए पर फिलहाल जजों की सीमित संख्या में ये बहुत मुश्किल है. बता दें कि अभी सुप्रीम कोर्ट में जजों के 31 पद स्वीकृत हैं, फिलहाल इतने ही जज हैं. वहीं सरकार के आंकड़ों के मुताबिक अभी हाई कोर्ट्स में करीब 44 लाख और सुप्रीम कोर्ट में 58,700 मामले लंबित पड़े हैं.
सीजेआई गोगोई का सुझाव है कि लंबित मामलों के निपटारे के लिए सरकार सेवानिवृत्त जजों को फिक्स कार्यकाल के लिए नियुक्त करने की व्यवस्था लागू कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट के रिकॉर्ड का हवाला देते हुए सीजेआई गोगोई ने लिखा है कि लंबित मुकदमों का ये हाल है कि यहां 26 मुकदमे 25 साल, 100 से ज्यादा मुकदमे 20 साल, करीब 600 मुकदमे 15 साल और 4980 मुकदमे पिछले दस साल से चल ही रहे हैं.