रस्सी जल गई, ऐंठन नहीं गईः सूरत कोर्ट में राहुल गाँधी की ‘अपुन ही लोकतंत्र’ टाइप दलीलें, कानून को अपना ‘कद’ समझाया

सुधीर गहलोत (पत्रकार और इतिहास प्रेमी)

कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) ने सोमवार (3 अप्रैल 2023) को गुजरात स्थित सूरत को कोर्ट में अपनी सजा को लेकर अपील की। इस दौरान उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया को अपने शक्ति प्रदर्शन का माध्यम बना लिया। राहुल गाँधी कॉन्ग्रेस का पूरा तामझाम लेकर सूरत पहुँचे।

राहुल गाँधी के साथ उनकी बहन प्रियंका गाँधी, कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कॉन्ग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री- अशोक गहलोत, सुखविंदर सिंह सुक्खु और भूपेश बघेल के अलावा, कई सांसद मौजूद थे। सबसे बड़ी बात है कि राहुल गाँधी इस दौरान कमर्शियल फ्लाइट में उड़ान भरे। चार्टर्ड विमानों के अभ्यस्त नेता के लिए असामान्य बात है, जो इसमें राजनीति भी दिखाती है।

बस में बैठकर कॉन्ग्रेस नेताओं के साथ राहुल गाँधी कोर्ट पहुँचे। सूरत के अतिरिक्त सत्र अदालत के न्यायाधीश ने राहुल गाँधी को उनकी सजा के खिलाफ उनकी अपील का निस्तारण होने तक जमानत दे दी। इसके साथ ही न्यायाधीश रॉबिन मोगेरा ने 13 अप्रैल 2023 को सुनवाई की अगली तिथि निर्धारित की और कोर्ट में व्यक्तिगत उपस्थिति से भी छूट दी।

बार एंड बेंच के अनुसार, अपनी सब्मिशन में राहुल गाँधी के सबसे प्रमुख तर्कों में से एक में कहा गया कि न्यायाधीश को कैसे उनके कद को उचित श्रेय देना चाहिए था। राहुल गाँधी अपने सब्मिशन में कहते हैं, “उम्मीद की जाती है कि ट्रायल जज दो साल की सजा देने के परिणामों से अवगत होंगे, अर्थात् अनिवार्य अयोग्यता को लेकर। इस तरह की अयोग्यता एक ओर मतदाताओं के जनादेश की अस्वीकृति और दूसरी ओर राजकोष पर भारी बोझ डालती है। इसलिए यह उम्मीद की जाती है कि जज सजा के आदेश में इस प्रकृति के परिणाम का उल्लेख करेंगे।”

दरअसल, राहुल गाँधी वही बात कह रहे हैं, जो उनके पार्टी के नेता उनके परिवार को लेकर कहते रहते हैं। कॉन्ग्रेस के बाहुबली नेता और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने राहुल गाँधी को दो साल की सजा होने पर कहा था कि गाँधी परिवार के अलग कानून होने चाहिए। तिवारी ने कहा था कि अगर कोर्ट ने राहुल गाँधी के परिवार और उनकी पृष्ठभूमि पर विचार कर फैसला सुनाया होता उनकी सदस्यता नहीं जाती। इसलिए राहुल गाँधी के परिवार के लिए अलग कानून होना चाहिए। राहुल का कुछ-कुछ यही मानना है।

राहुल गाँधी और उनके परिवार के साथ-साथ कॉन्ग्रेसियों का भी मानना है कि गाँधी परिवार कानून से ऊपर है और न्यायपालिका को ही उनके समक्ष झुकना चाहिए। अपील में आगे कहा गया है कि उचित सजा को लेकर संक्षिप्त जाँच की गई। इसमें निचली अदालत ने पक्षकारों को पर्याप्त अवसर दिए बिना अधिकतम सजा देने का काम किया।

राहुल गाँधी इस बात से बेहद नाराज़ नज़र आ रहे हैं कि अदालत ने उन्हें मौका नहीं दिया और तुरंत कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के लिए कहा। जाहिर राहुल गाँधी अपने कद के बारे में न्यायालय को बताना चाह रहे थे। अपील में उनके द्वारा दिए गए इन दो तर्कों से साबित होता है कि उनके अभिजात वर्ग से ताल्लुक रखने को लेकर न्यायपालिका को हमेशा अवगत रहना चाहिए।