कबाड़ी बेचने से मंत्री बनने तक का सफर: नवाब मलिक के आतंकी से संंबंध तो दामाद पर NCB की निगाह, कभी कहा था- अर्नब करेंगे आत्महत्या

पाकिस्तान में छिपे कुख्यात आतंकी दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) से नजदीकी के कारण प्रवर्तिन निदेशालय (ED) द्वारा राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (NCP) के नेता और महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार में मंत्री नवाब मलिक (Nawab Malik) को गिरफ्तार कर लिया है। कबाड़ी बेचने वाले नवाब मलिक आज महाराष्ट्र सरकार में अल्पसंख्यक, उद्यम और कौशल विकास का कैबिनेट मंत्री होने तक सफर के बारे में जानते हैं।

यूपी से ताल्लुक और कबाड़ी बेचने का काम

महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार में कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बलरामपुर के रहने वाले हैं। उनका जन्म 20 जून 1959 को जिले के उतरौला तालुक के एक गाँव में हुआ है। उनका परिवार खेती-बाड़ी के साथ-साथ व्यवसाय था जुड़ा रहा है।

इनके परिवार के एक होटल मुंबई में भी था। परिवार के कुछ होटल का काम देखते थे तो कुछ कबाड़ बेचने का धंधा करते थे। उनके पिता मोहम्मद इस्लाम (Mohammad Islam) कबाड़ के साथ-साथ कपड़े का कारोबार करते थे। नवाब मलिक भी अपने पिता के ही कारोबार में हाथ बँटाते थे और कबाड़ बेचने के काम करते थे। विधायक बनने से पहले वह इसी काम में लगे थे।

मुंबई आने के बाद उन्हें स्कूली शिक्षा के लिए सेंट जोसेफ इंग्लिश स्कूल में कराया गया, लेकिन उनके अब्बा और अन्य रिश्तेदारों ने अंग्रेजी स्कूल का विरोध किया। इसके बाद उनका नामांकन एनएमसी के नूरबाग उर्दू स्कूल में कराया गया। कक्षा चार तक उन्होंने इसी उर्दू स्कूल में पढ़ाई की। इसके बाद डोंगरी के GR-2 में 7वीं कक्षा तक और सीएसटी क्षेत्र के अंजुमन इस्लाम स्कूल में 11वीं और 12वीं की पढ़ाई बुरहानी कॉलेज से की। नवाब मलिक ने अपने BA की पढ़ाई पूरी नहीं की है।

दैनिक भास्कर के अनुसार, नवाब मलिक ने 1992 में दंगों से दहल रहे मुंबई में एक सांध्य अखबार शुरू किया। इसका नाम था ‘सांझ समाचार’। हालाँकि, यह अखबार ज्यादा दिन तक नहीं चल सका। आर्थिक कारणों के चलते यह अखबार जल्द ही बंद हो गया।

1992 के बाबरी ढाँचे के विध्वंस और इसके पहले कारसेवकों पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव चलवाई गईं गोलियों के कारण मुंबई के मुस्लिम बहुल इलाकों में समाजवादी पार्टी का आधार बनना शुरू हो गया था। इसी दौरान नवाब मलिक समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए।

साल 1995 के विधानसभा चुनावों में उन्हें नेहरू नगर से टिकट मिला। हालाँकि, मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने के बावजूद वह शिवसेना के तत्कालीन नेता सूर्यकांत महादिक से 50 हजार से अधिक वोटों से चुनाव हार गए और दूसरे स्थान पर रहे। हालाँकि, 1996 में वे इसी सीट से लगभग 6,000 मतों से जीतने में कामयाब रहे। साल 1999 में भी नवाब मलिक सपा से चुनाव जीते। कॉन्ग्रेस और NCP के साथ समाजवादी पार्टी के गठबंधन सरकार में उन्हें राज्यमंत्री का पद मिला। इसके बाद वह NCP में शामिल हो गए।

भ्रष्टाचार के साथ गहरा नाता

इतना ही नहीं, नवाब मलिक के दामाद समीर खान भी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के निशाने पर हैं। पिछले साल NCB के क्षेत्रीय निदेशक समीर खान के खिलाफ 1,000 पेज की चार्जशीट दायर की है। समीर खान महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मामलों और कौशल विकास मंत्री एवं राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता नवाब मलिक के दामाद हैं।

अंडरवर्ल्ड से जमीन का खरीदार मंत्री

नवाब मलिक पर आरोप है कि उन्होंने दाऊद के भाई इकबाल कासकर और उसके गैंग से जमीनें खरीदी हैं। भाजपा नेता और महाराष्ट्र पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आरोप लगाया था कि सरदार शाह वली खान और हसीना पारकर के करीबी सलीम पटेल के नवाब मलिक के साथ व्यवसायिक संबंध हैं। इन दोनों ने नवाब मलिक के रिश्तेदार की एक कंपनी (Solidus company) को मुंबई के LBS रोड पर मौजूद करोड़ों की जमीन कौड़ियों के दाम में बेची।

आर्यन ड्रग केस में शाहरुख खान के हितैषी

नवाब मलिक लगातार और उनके परिवार पर आरोप लगाते रहे हैं। साल 2021 में जब बॉलीवुड ऐक्टर शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) मुंबई के डिविजनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े ने गिरफ्तार किया था तो समीर खिलाफ आरोपों की बौछार कर दी। समीर वानखेड़े के जन्म प्रमाण पत्र से लेकर उनके परिवार के मुस्लिम होने तक के आरोप लगाए थे। उन्होंने समीर वानखेड़े के साथ-साथ उनके परिवार और पत्नी पर भी आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। तब उन्होंने कहा था कि ‘पिक्चर तो अभी बाकी है मेरे दोस्त’।

रिपब्लिक टीवी के एडिटर अर्नब आत्महत्या कर लेंगे

साल 2020 में रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की प्रताड़नापूर्ण कार्रवाई के दौरान नवाब मलिक का एक स्टिंग सामने आया था, जिसमें वो भविष्यवाणी करते दिख रहे हैं कि TRP स्कैम मामले से अर्नब गोस्वामी इतने हताश हो जाएँगे कि अंत में उन्हें आत्महत्या करनी पड़ेगी।