UP में सपा-बसपा बेचैन क्यों: कोरोना प्रबंधन पर WHO की तारीफ या मुजफ्फरनगर दंगे और कैराना पलायन को भूल आगे बढ़ने का डर?

गुलशन कुमार

भारतीय राजनीति में कॉन्ग्रेस के बाद ऐसा पहली बार हुआ है की गैर-कॉन्ग्रेसी सरकार इतनी मजबूत बहुमत के साथ सत्ता में काबिज है। कभी 2 सीटों वाली भाजपा आज विश्व की सबसे बड़ी जनाधार वाली राजनीतिक पार्टी है। विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में आज विपक्ष ना के बराबर है। देश भर में गैर-भाजपा नेताओं की मुलाकात सिर्फ BJP को रोकने के लिए चरम पर है। राज्य की राजनीति में जो एक-दूसरे को देखना पसंद नहीं करते, देश की राजनीति में एक-दूसरे के साथ सिर्फ इस बात को लेकर गठबंधन कर रहें है ताकि 2024 में वो बीजेपी की सत्ता में आने से रोक सकें।

उस से पहले 2022 में भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव होने वाले है। एक ऐसा राज्य जिसे 5 साल पहले तक एक दंगाई और बदनाम राज्य का दर्जा प्राप्त था। जो आज देश में सबसे अग्रणी राज्यों में से है। उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह से पिछले 4 वर्षों में काम किया है, उसकी प्रशंसा देश और विदेशों में भी हुई है। योगी सरकार द्वारा कोरोना काल में किए गए काम की प्रशंसा WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) तक हुई है।

कोरोना काल में प्रदेश में लौटे लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार देने से लेकर देश के सबसे बड़े जनसंख्या वाले राज्य में कोरोना जैसी महामारी ना ही कभी विकराल रूप से फैली और ना ही स्थानीय लोगों में कभी भय का माहौल बना। एक सक्षम और कुशल नेतृत्व ने इस बात को साबित कर दिया की अगर संसाधनों का सही इस्तेमाल किया जाए तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं है। केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकार होने से एक अच्छा समन्वय और संबंध बना रहा।

केंद्र की सहायता और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ द्वारा लिए गए सकारात्मक निर्णयों से राज्य प्रगति की तरफ अग्रसर है। आज उत्तर प्रदेश में दंगाइयों पर जिस तरह से नकेल कसा गया है, वहाँ की कानून व्यवस्था दुरुस्त की गई है, यह सिर्फ एक कुशल मुख्यमंत्री के द्वारा ही संभव था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद लगातार कह रहे हैं कि हमारी उत्तर प्रदेश की सरकार को 4 साल हो गए हैं, लेकिन एक भी दंगा इन चार सालों के दौरान नहीं हुआ।

जबकि पहले इसी राज्य में हमसब ने 2017 में मुज्ज़फरनगर का दंगा भी देखा है, और ‘कैराना पलायन’ भी देखा है। लेकिन, योगी सरकार में हम सब ने उत्तर प्रदेश को आगे बढ़ते और आत्मनिर्भर बनते देखा है। आज पर्यटकों के लिए भी यूपी एक केंद्र बना हुआ है। आगरा के बाद आज के समय में अयोध्या, काशी, लखनऊ, वाराणसी और कुशीनगर समेत अनेक पर्यटन केंद्र हैं। देश भर में सबसे ज़्यादा एयरपोर्ट वाला राज्य यूपी है।

अयोध्या का नवीनीकरण और ‘राम मंदिर’ का भव्यता पर्यटकों को और ज्यादा आकर्षित करेगा। शिक्षा, स्वास्थ्य, और सभी वर्गों के विकास में जिस तरह से कार्य हुए है, वह प्रशंसनीय है। साथ ही साथ ग्रेटर नोएडा, लखनऊ और अयोध्या फिल्म शूटिंग के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। आज का उत्तर प्रदेश ‘आधुनिक उत्तर प्रदेश’ है, जो पिछले 4 वर्षों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किए गए कार्यों के उदाहरण है।

सपा, बसपा और छोटे दलों की बेचैनी

सपा और बसपा की बेचैनी इस बार अधिक है। अभी उनके सामने 2022 में होने वाला यूपी विधानसभा चुनाव सबसे मुश्किल चुनाव है। वर्तमान में केंद्र की बीजेपी की सरकार और यूपी की बीजेपी की सरकार जिस मजबूती और दृढता से जन-कल्याण के लिए कार्य कर रही है, जिसे देखकर जनता का उसे अपार समर्थन मिल रहा है। जहाँ एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अभी उत्तर प्रदेश के वाराणसी से वर्तमान सांसद हैं और उनके द्वारा देश और वाराणसी में किए गए अकल्पनीय विकास के कार्य उत्तर प्रदेश को दिन प्रति दिन वैश्विक स्तर पर अलग पहचान दे रहे हैं।

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को रोकने के लिए एक दूसरे के सालों से विपक्षी रहे सपा और बसपा एकसाथ आए थे। लेकिन, उनको करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने यह स्पष्ट किया है, इसबार बसपा से गठबंधन नहीं होगा। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के सहयोगी रहे कॉन्ग्रेस भी इस बार सपा के साथ नहीं होगी। हालाँकि, सपा ने आम आदमी पार्टी और छोटे दलों से गठबंधन को नाकारा नहीं है।

सत्ता में आने के लिए और बीजेपी को रोकने के लिए ये दल किसी से भी गठबंधन कर सकते है। इसे आप सत्ता का लोभ कहें या फिर बीजेपी को रोकने के लिए तमाम पैंतरे, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी की जोड़ी को आज के समय में सबसे ताकतवर ‘राजनीतिक जोड़ी’ के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में मोदी के बाद देश योगी को प्रधानमंत्री के अगले चेहरे के रूप में भी देख रहा है।

यह वजह यह भी हो सकता है की प्रधानमंत्री मोदी की तरह ही मुख्यमंत्री योगी भी कड़े फैसले लेने में किसी तरह के संकोच नहीं करते हैं। इस तरह सपा, बसपा, और कॉन्ग्रेस समेत अनेक छोटे दलों के लिए यह चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है| भारतीय राजनीति में उत्तर प्रदेश की का एक बड़ा किरदार है| इसलिए भी 2022 का विधानसभा चुनाव अहम हो जाता है। बीजेपी के लिए भी यह चुनाव अहम है, क्योंकि इस इस चुनाव के नतीजे पक्ष में आते हैं तो उसे 2024 के लिए बड़ी मनोवैज्ञानिक बढ़त मिलेगी।

(ये लेखक के अपने विचार हैं। गुलशन कुमार बिहार के मोतिहारी स्थित महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय (MGCUB) के ‘गाँधी एवं शांति अध्ययन विभाग’ में M.Phil के शोधार्थी हैं।)