यूपी में दूसरी बार बिना मास्क धरे गए तो ₹10,000 जुर्माने के साथ फोटो भी होगी सार्वजनिक, थूकने पर 500 का फटका

लखनऊ। कोरोना वायरस का संक्रमण यूपी में बेतहाशा तरीके से बढ़ रहा है। ऐसे में यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सभी से मास्क का इस्तेमाल अनिवार्य रूप से करने और उल्लंघन करने वाले लोगों पर जुर्माना लगाने का आदेश दिया है। अब योगी सरकार ने एक और कड़ा कदम उठाया है। प्रदेश में पब्लिक प्लेस पर थूकने वालों के खिलाफ सख्ती करने का आदेश जारी किया गया है। इसके तहत यदि कोई व्यक्ति पब्लिक प्लेस में थूकते हुए पकड़ा गया तो उस पर 500 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।

उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना महामारी अधिनियम 2020 में आठवाँ संशोधन किया है। संशोधन के मुताबिक घर से बाहर बिना मास्क या गमछा के निकलने पर पहली बार पकड़े जाने पर एक हज़ार रुपए और दोबारा पकड़े जाने पर दस हज़ार रुपए जुर्माना का प्रावधान किया गया है। मंगलवार (अप्रैल 20, 2021) को जारी नए आदेश में अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अमित मोहन प्रसाद ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति के सार्वजनिक स्थलों पर अथवा घर से बाहर थूकने पर उसे 500 रुपए के जुर्माना से दंडित किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अभी हाल में मास्क न पहनने पर पहली बार पकड़े जाने पर एक हज़ार रुपए और दोबारा पकड़े जाने पर दस गुना ज़्यादा जुर्माना लगाने का निर्देश दिया था।

अब योगी सरकार ने मास्क न लगाने वालों पर और कड़ाई करते हुए दूसरी बार पकड़े जाने पर फोटो भी सार्वजनिक करने का निर्देश दिया है। यानी 10 हजार रुपए जुर्माना भरने वालों के फोटो भी सार्वजनिक कर दिए जाएँगे। संक्रमण फैलने से रोकने के लिये मास्क बेहद जरूरी है। लगातार लोगों को इसको लेकर जागरूक किया जा रहा है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कंटेनमेंट जोन के प्रावधानों को भी सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है।

पुलिस ने लगातार इस पर एक्शन भी शुरू कर दिया है। देवरिया में ऐसे ही एक शख्स द्वारा दो दिन में मास्क न पहने के नियम का दूसरी बार उल्लघन करने पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया।

इसके अलावा प्रदेश में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की वजह से योगी सरकार ने बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षकों, शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को घर से काम (Work from home) की मंजूरी प्रदान की है।

बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने इस संबंध में जारी आदेश में कहा कि जिला प्रशासन या सक्षम अधिकारी की ओर से शिक्षकों, शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को दिए गए प्रशासकीय कार्य और जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए आवश्यकता पड़ने पर उन्हें उपस्थित होना होगा।

प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री डॉ सतीश चन्द्र द्विवेदी ने कहा कोरोना की वजह से शिक्षण कार्य पहले ही बंद कर दिया गया था लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए शिक्षकों, शिक्षामित्रों तथा अनुदेशकों को भी वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दी जाएगी। लेकिन पंचायत चुनाव और अन्य आवश्यक कार्यों में दिए जाने वाले कामों को करना होगा।

गौरतलब है कि इलाहाबाद कोर्ट ने 19 अप्रैल को यूपी के पाँच शहरों- प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, कानपुर नगर, और गोरखपुर में 26 अप्रैल तक कड़े प्रतिबंधों के साथ लॉकडाउन लगाने की निर्देश दिए थे। हालाँकि योगी सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और शीर्ष अदालत ने इस आदेश पर रोक लगा दी। इस बीच यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में संपूर्ण लॉकाडाउन न लगाने की वजह बताई है।

योगी आदित्यनाथ ने कहा, “प्रत्येक प्रदेशवासी के जीवन और जीविका की सुरक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। लॉकडाउन के कारण किसी के भी सामने आजीविका का संकट उत्पन्न न हो इसीलिए वर्तमान परिस्थितियों के आधार पर हमने ‘कोरोना कर्फ्यू’ को पूरी सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया है। आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।”

उन्होंने कहा, ”कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण हेतु यूपी सरकार लगातार प्रभावी कदम उठा रही है। सभी जिलों में कोविड डेडिकेटेड अस्पतालों में बढ़ोत्तरी, आइसोलेशन व ICU बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर सहित सभी चिकित्सकीय जरूरतों की उपलब्धता के साथ ही अतिरिक्त चिकित्सकों/पैरा मेडिकल स्टाफ की भी तैनाती की जा रही है।”