Amit Shah Birth Day: बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अपने खिलाफ छपी खबरों को भी रखते हैं संभालकर

 ‘रावण जैसा होगा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह(Amit Shah) का हाल’
‘सिद्धारमैया का निशाना-मोदी और शाह दोनों हिटलर के जीवाश्म’
‘मोदी और शाह की जोड़ी देश के लिए हानिकारक है’
‘अगर कोई अमित शाह हमें बेवकूफ समझता है तो इसमें हैरत की क्या बात है’
‘मायावती का पलटवार, अमित शाह सबसे बड़ा कसाब’
‘सपा नेता के बिगड़े बोल-मोदी-शाह को बताया आतंकी’

ये चंद खबरों की हेडलाइंस हैं, जो अमित शाह (Amit Shah)  के ही खिलाफ छपी हैं, मगर इन खबरों की कतरन को भी अमित शाह ने संभालकर रखा है. बीजेपी का अध्यक्ष बनने के बाद से अमित शाह के खिलाफ छपीं दर्जनों खबरें उनकी वेबसाइट पर ही उपलब्ध मिल जाएंगी. अमित शाह ऐसे बिरले नेता बताए जाते हैं, जो  अपने लिए नकारात्मक खबरों और मजाक उड़ाने वाले वीडियो की भी वेबसाइट पर नुमाइश करते हैं. मूमन नेताओं को सकारात्मक खबरें ही पसंद आती हैं, उन्हें ही अपने सोशल मीडिया अकाउंट से लेकर वेबसाइट पर जगह देते हैं, मगर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह दूसरे नेताओं से इस मामले में अलग हैं. वह अपने खिलाफ छपी खबरों को भी  संभालकर रखते हैं. खबरें ही क्यों, अपना ही मजाक उड़ाने वाले वीडियो भी अमित शाह को खूब पसंद हैं. अमित शाह की आधिकारिक वेबसाइट का पता है-http://amitshah.co.in/ इस साइट को जब आप क्लिक करेंगे तो एक कॉर्नर प्रेस(PRESS) नाम से मिलेगा.जब आप ‘प्रेस’ कॉर्नर क्लिक करेंगे तो इसमें Critic ऑप्शन मिलेगा. इस कॉर्नर के अंदर क्लिक करते ही आपको ऐसी तमाम नकारात्मक खबरें मिलेंगी, जो अमित शाह या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना से जुड़ीं हैं. अखबारों की कतरन से लेकर न्यूज वेबसाइट्स की खबरों के स्क्रीनशॉट यहां उपलब्ध मिलेंगी. चाहे जज लोया की संदिग्ध मौत का मामला हो या फिर सपा नेता की ओर से मोदी-शाह को सबसे बड़ा आतंकी बताया जाना, या फिर अमित शाह को बेवकूफ और रावण या फिर हिटलर कहे जाने का मामला. ऐसी तमाम खबरें अमित शाह ने अपनी वेबसाइट पर संभालकर रखीं हैं.

मजाकिया वीडियो भी हैं
अमित शाह की वेबसाइट पर वीडियो कॉर्नर क्लिक करेंगे तो spoofs का लिंक मिलेगी. इस पर आप क्लिक करेंगे तो ऐसे तमाम मजाकिया वीडियो उपलब्ध मिलेंगे, जिसमें अमित शाह या मोदी की कार्टून के साथ मौज ली गई है. इसमें विभिन्न टीवी चैनल की ओर से तैयार ऐसे वीडियो का संग्रह किया गया है. बीजेपी के एक नेता कहते हैं-अमित शाह के बारे में भले ही धारणा है कि वह आलोचना पसंद नहीं करते, मगर जिस ढंग से उन्होंने अपनी ही वेबसाइट पर अपने खिलाफ आए बयानों और विवेचना की खबरों को जगह दी है, इससे यह बात खारिज होती है.

अमित शाह ने कैसे बदला बीजेपी को, कमरे में चाणक्य की तस्वीर
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय अपने एक लेख में अमित शाह कहते हैं कि वे चुनावों के लिए बहुत पहले से उसी तरह तैयारी करते हैं, जैसे कोई मेधावी और मेहनती छात्र लगातार पढ़ाई करते हैं. 1989 से 42 चुनावों में लगातार जय पाने वाले अमित शाह को ऐसे ही चाणक्य नहीं कहा जा जाता है.  अमित शाह ने 17 साल वर्ष की उम्र में ही चाणक्य का पूरा इतिहास पढ़ लिया था. भाजपा में सबसे कम आयु के अध्यक्ष बने अमित के नेतृत्व में पार्टी को दुनिया में सबसे बड़े राजनीतिक दल बनने का अवसर मिला. खाली समय में शतरंज खेलने और शास्त्रीय संगीत सुनने के शौकीन अमित शाह चाणक्य को इतना पसंद करते हैं कि उनके कमरे में आज भी चाणक्य और सावरकर के चित्र टंगे हैं. बीजेपी अध्यक्ष बनने के बाद से अमित शाह ने बीजेपी की सदस्यता रिकॉर्ड 11 करोड़ तक पहुंचा दी. जबकि 2014 में इससे आधे से भी कम सदस्य थे.

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 बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह के कमरे में चाणक्य की तस्वीर देखी जा सकती है.

शाह का सियासी सफरनामा
1964 में अनिलचंद्र शाह और कुसुमबेन के बेटे के रूप में मुंबई में अमित शाह का जन्म हुआ. गुजरात के मानसा गांव में 16 वर्ष की उम्र में शुरुआती पढ़ाई के बाद उनका परिवार अहमदाबाद शिफ्ट हुआ.फिर वह संघ से जुड़े. एबीवीपी से होते हुए 1984-85 में पहली बार बीजेपी कार्यकर्ता बने. पार्टी की तरफ से पहली जिम्मेदारी उन्हें अहमदाबाद के नारायणपुरा वार्ड में पोल एजेंट के रूप मिली. फिर भाजयुमो के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष और बाद में गुजरात बीजेपी के उपाध्यक्ष हुए. 1989 में जब लोकसभा चुनाव चल रहा था, तब भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी के अहमदाबाद लोकसभा सीट से चुनाव के प्रबंधन की जिम्मेदारी मिली. 2009 तक वह आडवाणी के लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाते रहे. जब गांधीनगर सीट से अटल बिहारी वाजपेयी ने चुनाव लड़ा था, तब भी अमित शाह उनके चुनाव प्रभारी थे. पहली बार गुजरात में बीजेपी 1995 में सत्ता में आई मगर 1997 में सरकार गिर गई.

इस दौरान गुजरात राज्य वित्तीय निगम के अध्यक्ष बने. सरखेज सीट के उपचुनाव में 25 हजार वोटों से पला विधानसभा चुनाव अमित शाह ने जीता. 1998 में उसी सीट से 1.30 लाख वोटों से जीते. अमित शाह ने गुजरात में सहकारी समितियों के चुनाव में कांग्रेस की हालत खराब करते हुए बीजेपी की स्थिति मजबूत की. इसको देखते हुए उन्हें बीजेपी में कोपरेटिव कमेटी( BJP’s cooperative committee) का राष्ट्रीय संयोजक बना दिया गया. 2002 में जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात चुनाव लड़ा गया तो सरखेज सीट से ही अमित शाह ने  1,58,036 वोटों से जीत हासिल की. तीसरी बार विधायक बनने पर वह गुजरात की मोदी सरकार में वह गृहमंत्री बने. 2007 में चौथी बार वह सरखेज सीट से जीते, मगर इस बार जीत के अंतर को उन्होंने  2,32,832 वोटों तक पहुंचा दिया. फिर दोबारा गृह सहित कई विभागों के मंत्री बने.

जब 90 दिनों तक जाना पड़ा जेल
सब कुछ ठीक चल रहा था, अचानक 2010 में अमित शाह के बुरे दिन शुरु हुए, जब यूपीए सरकार में उन्हें 90 दिनों के लिए जेल में जाना पड़ा. मामला सोहराबुद्दीन के चर्चित एनकाउंटर से जुड़ा था. उस वक्त अमित शाह आरोपी बनाए गए थे. बाद में कोर्ट ने अमित शाह को आरोपों से मुक्त कर दिया था. 2012 में पांचवी बार विधायक बनने के बाद पार्टी ने उन्हें 2013 में बीजेपी के महासचिव बनाया. 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी प्रभारी रहते हुए 80 में से 75 सीटें झोली में डाल दीं. बीजपी 272 के जादुई आंकड़ों को भी पार कर गई. इसके बाद अमित शाह को बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. तब से दो बार कार्यकाल बढ़ चुका है. बीजेपी में तीसरी बार लगातार अध्यक्ष होने वाले पहले शख्स अमित शाह बन गए हैं.

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