क्या बिहार के डीजीपी ने दे दिया इस्तीफा? जानिए खुद गुप्तेश्वर पांडेय ने ट्वीट कर क्या कहा?

पटना। बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय खबरों की दुनियां में बने रहते हैं। सुशांत केस में भी उनकी सक्रियता चर्चा में रही। इधर एक बार फिर डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के अचानक इस्तीफा देने की खबर से बिहार प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर गहमागहमी फैल गई।

हालांकि यह खबर कहां से आई इसके बारे में जानकारी नहीं लेकिन रविवार की देऱ शाम से यह खबर बड़ी तेजी से फैली। इस संबंध में डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय से पूछा तो उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से अफवाह है। इस खबर में रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है। जिस किसी ने भी इस तरह की खबर फैलाई वह पूरी तरह से गलत है। उन्होंने कहा कि इसे आप किस स्तर की पत्रकारिता कहेंगे?

डीजीपी ने इसके बाद ट्वीट कर खबर के झूठी होने की सूचना देते हुए लिखा कि अभी बिहार के एक पोर्टल न्यूज ने मेरे नौकरी से इस्तीफा देने के बारे में एक झूठी खबर चला कर सनसनी फैला दी है। इसको किस स्तर की पत्रकारिता कहेंगे आप?

रिया चक्रवर्ती पर ‘औकात’ वाले बयान पर ट्रोल हुए थे डीजीपी
सुशांत सिंह राजपूत केस में रिया चक्रवर्ती पर अपने बयान ‘औकात’ पर सोशल मीडिया में ट्रोल हुए थे डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय। ट्रोल  होने के बाद बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने अपनी सफाई दी। डीजीपी ने एक बयान में कहा था कि औकात (Aukat) का अंग्रेजी में मतलब ‘कद’ (stature) से है। और रिया चक्रवर्ती(Rhea Chakraborty) का ऐसा कद नहीं है कि वह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कोई कमेंट कर सके। कहा कि उसे नहीं भूलना चाहिए कि वह सुशांत सिंह राजपूत केस (Sushant Singh Rajput case) में नामजद आरोपी है। जो केस मेरे पास था और अब सीबीआई के पास है।

डीजीपी ने कहा था कि अगर कोई राजनीतिक नेता बिहार के सीएम पर टिप्पणी करता है तो मैं इस पर टिप्पणी करने वाला कोई नहीं हूं। लेकिन अगर कोई आरोपी बिहार के सीएम पर कुछ बेबुनियाद टिप्पणी करता है तो यह आपत्तिजनक है। रिया चक्रवर्ती की टिप्पणी अनुचित थी उसे अपनी लड़ाई कानूनी रूप से लड़नी चाहिए।

2009 में चुनाव लड़ने के लिए लिया था वीआरएस
उल्लेखनीय है कि बिहार कैडर के 1987 बैच के IPS गुप्तेश्वर पांडेय ने 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए वीआरएस ले लिया था। वे बीजेपी के टिकट पर बक्सर सीट से लड़ना चाहते थे। टिकट नहीं मिलने पर आईपीएस गुप्तेश्वर पांडेय ने वीआरएस वापस लेने की अर्जी दी। जिसे नीतीश सरकार ने मंजूर करके करीब 9 महीने बाद उन्हें एक बार फिर सर्विस में रख लिया और लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें प्रमोशन देते हुए बिहार का डीजीपी बना दिया गया।