कोरोना पीड़ित की मौत के बाद नौ घंटे एंबुलेंस में ही पड़ा रहा शव, फटकार के बाद हुआ अंतिम संस्कार

लखनऊ। कोरोना वायरस से लड़ने व इलाज में एक तरफ सरकार हर मुमकिन प्रयास में लगी है। वहीं, राजधानी लखनऊ में कोरोना पीड़ित युवक को वक्त पर इलाज न मिलने पर जान गवानी पड़ी। एंबुलेंस में ही पीड़ित की सांसे थम गई। मौत के बाद उसका शव नौ घंटे एंबुलेंस में पड़ा रहा। दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित हुई। इसके बाद अधिकारियों को शासन से फटकार लगी। तब जाकर आनन-फानन शुक्रवार सुबह नौ बजे मृतक का अंतिम संस्कार किया गया। सीएमओ ने मरीज को भर्ती न करने वाले निजी मेडिकल कॉलेजों से जवाब तलब किया है।

ये है पूरा मामला 

दरअसल, लखीमपुर के मूलनिवासी 26 वर्षीय अंकित सिंह चिनहट में रहते थे। भाई तरुण के मुताबिक, बुधवार शाम पांच बजे अंकित की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद सीएमओ कार्यालय से संपर्क साधा गया। रात दस बजे एंबुलेंस घर पहुंची। अंकित को पहले कुर्सी रोड स्थित निजी मेडिकल कॉलेज भेजा गया, लेकिन यहां भर्ती करने से इन्कार कर दिया गया। फिर एक के बाद एक कई अस्पतालों के चक्कर लगाने के बाद कानपुर रोड स्थित मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। यहां गुरुवार सुबह चार बजे अंकित को भर्ती किया जा सका। यहां हालत बिगड़ने पर गुरुवार दोपहर के बाद किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) रेफर कर दिया गया।

नौ घंटे एंबुलेंस में ही पड़ा रहा शव 

एंबुलेंस पांच बजे अंकित को केजीएमयू के कोरोना वार्ड के पास पहुंची। मगर, दो घंटे तक भर्ती नहीं किया गया।  एंबुलेंस में ही मरीज की सांसें थम गईं। इसके बाद गुरुवार को न तो शव वाहन मिला और न ही अंकित के शव को मर्च्यूरी में रखा गया। लिहाजा, शव नौ घंटे एंबुलेंस में ही पड़ा रहा। शुक्रवार सुबह चार बजे केजीएमयू की मर्च्यूरी में शव रखा गया।

दिखा खबर का असर 

शुक्रवार सुबह स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था की खबर दैनिक जागरण में प्रकाशित हुई। इसके बाद अधिकारियों को शासन से फटकार लगाई गई। तब जाकर आनन-फानन शुक्रवार सुबह नौ बजे अंकित का अंतिम संस्कार किया गया। सीएमओ डॉ. नरेंद्र अग्रवाल ने कहा कि घटना को गंभीरता से लिया गया है। तीन निजी मेडिकल कॉलेजों को नोटिस भेजा गया है। वहीं, केजीएमयू के सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार ने एमएस से घटना की रिपोर्ट मांगी है।

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