मुंबई। मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर राकेश मारिया ने शीना बोरा हत्या मामले की जांच के दौरान अपने अचानक हुए तबादले पर चुप्पी तोड़ी है. उन पर आरोप थे कि जांच के दौरान उन्होंने पीटर मुखर्जी को बचाने की कोशिश की थी. बता दें कि पीटर अपनी पूर्व पत्नी इंद्राणी की बेटी शीना की हत्या का आरोपी है.
शीना बोरा हत्या मामला 2015 में तब सुर्खियों में आया था, जब मुंबई पुलिस ने इंद्राणी मुखर्जी को गिरफ्तार किया और उस पर 2012 में शीना की हत्या का आरोप लगाया. ये मामला खार पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था. उस दौरान राकेश मारिया मुंबई पुलिस में कमिश्नर थे. इस मामले की तफ्तीश में राकेश मारिया काफी सक्रिय रहे. उस वक्त इंद्राणी के बाद पीटर मुखर्जी से लंबी पूछताछ हुई थी.
यह मामला जब सुर्खियों में था, तभी राकेश मारिया को प्रमोशन देकर होमगार्ड के महानिदेशक के तौर पर स्थानांतरित कर दिया गया. उस समय यह अनुमान लगाया गया था कि राकेश मारिया का तबादला महाराष्ट्र में सरकार बदलने की वजह से हुआ था. बताया जाता है कि तत्कालीन सीएम देवेंद्र फडणवीस शीना बोरा हत्या मामले की जांच से खुश नहीं थे क्योंकि उन्हें पीटर मुखर्जी के बारे में नहीं बताया गया था. कुछ दिनों बाद मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी.
अपनी किताब ‘Let Me Say It Now’ में राकेश मारिया ने लिखा है कि मुंबई पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने शीना बोरा हत्या मामले से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में उन्हें अंधेरे में रखा था. मारिया का यह भी कहना है कि उन्हें अपनी ओर से हत्या के मामले में तब के सीएम देवेंद्र फडणवीस को गलत ब्रीफिंग करने का डाउट था.
अपनी किताब में मारिया ने आरोपों को खारिज किया कि उन्होंने शीना बोरा हत्या मामले में पीटर मुखर्जी को लेकर सीएम को गुमराह किया था. कुछ मीडिया रिपोर्ट में फडणवीस के हवाले से कहा गया था कि उन्हें बताया गया कि पीटर मुखर्जी शीना की हत्या में शामिल नहीं थे.
जांच के वक्त पीटर मुखर्जी भारत में नहीं था
मारिया ने बताया कि उन्होंने फडणवीस से शीना बोरा हत्या मामले के बारे में केवल एक बार बात की और उन्हें बताया कि पीटर अपराध के समय भारत में नहीं थे, लेकिन उसके शामिल होने की जांच की जा रही थी. मारिया का कहना है कि उन्होंने फडणवीस से मेसेज पर अपने बयानों के बारे में बात की थी और उन्हें आश्वस्त किया गया था कि एक स्पष्टीकरण जारी किया जाएगा, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया था.
रिपोर्ट्स में मुख्यमंत्री के हवाले से कहा गया कि मारिया का कुछ विवादों को खत्म करने के लिए पदोन्नत किया गया था. फडणवीस ने कहा कि मारिया को संदेह का लाभ दिया जाना चाहिए, साथ ही यह भी कहा गया कि मामला सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था. दरअसल, सीएम को बताया गया था कि पीटर सीधे मामले में शामिल नहीं हैं.
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने दिया स्पष्ट जवाब
राकेश मारिया ने अपने किताब में इस बात का भी जिक्र किया है कि उनके और सीएम देवेंद्र फडणवीस के बीच कुछ गलतफहमी हो गई होगी. उन्हें शक था कि किसी ने उनकी तरफ से सीएम फडणवीस को गलत जानकारी दी थी. मारिया ने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) केपी बख्शी से मीडिया के साथ बात करने की अनुमति मांगी क्योंकि उनकी भूमिका को संदेह के दायरे में देखा गया था. इस पर बख्शी ने स्पष्ट रूप से कभी जवाब नहीं दिया और मारिया तीन महीने बाद सेवानिवृत्त हो गए.