चीन-पाकिस्तान की बुरी नजर का जवाब देगा ‘आकाश’, मोदी सरकार ने दिए 5000 करोड़ रुपए

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सरकार वायुसेना की मजबूती के लिए हर संभव कोशिश में जुटी हुई है. हालांकि सरकार रक्षा के क्षेत्र में भी भरसक कोशिश कर रही है कि इसमें ‘मेक इन इंडिया’ का खास ख्याल रखा जाए. इसी कड़ी में मोदी सरकार ने स्वदेशी निर्मित आकाश मिसाइल (Akash missile) सिस्टम की छह स्क्वाड्रन को भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल करने की मंजूरी दे दी है. इसके लिए सरकार ने पांच हजार करोड़ रुपये देने के फैसले पर मुहर लगा दी है. न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक आकाश मिसाइल (Akash missile) की स्क्वाड्रन को पाकिस्तान और चीन के बॉर्डर इलाके में तैनात किया जाएगा.

बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने हाल ही में वायुसेना के लिए इस परियोजना को सहमति प्रदान की थी. रक्षा मंत्रालय ने सरकार के इस निर्णय की जानकारी वायुसेना को गुरुवार को दी. सूत्रों ने बताया कि इस मिसाइल सिस्टम की खरीद के लिए तीन साल पहले प्रस्ताव दिया गया था. इस मंजूरी के साथ ही वायुसेना के पास आकाश मिसाइल (Akash missile) सिस्टम की संख्या 15 हो जाएगी.

पिछले साल इजराइल के साथ सूर्य लंका युद्धाभ्यास के दौरान आकाश डिफेंस सिस्टम को बेहतर प्रदर्शन वाला सिस्टम बताया गया था. 27 फरवरी को बालाकोट स्ट्राइक के मद्देनजर भी इस मिसाइल तकनीक की जरूरत महसूस की गई थी. इसके बाद इस प्रस्ताव को सहमति प्रदान कर दी गई.

25 किलोमीटर तक प्रहार करने और 60 किलोग्राम आयुध (वारहैड) लेकर जाने की क्षमता वाली मिसाइल का परीक्षण प्रक्षेपण आईटीआर के प्रक्षेपण परिसर-3 से पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न दो बजे तक किया गया. परीक्षण के दौरान पैरा-बैरल लक्ष्य पर निशाना साधने वाली आकाश मिसाइल (Akash missile) ‘रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन’ (इसरो) द्वारा विकसित मध्यम स्तर की जमीन से हवा में प्रहार करने वाली विमान रोधी रक्षा प्रणाली है. एकीकृत निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम के तहत इसे विकसित किया गया है. आकाश रामजेट-रॉकेट संचालन प्रणाली से चालित है.

यह मिसाइल 2.8 से 3.5 मैक की सुपरसोनिक गति से उड़ान भर सकती है और करीब 25 किलोमीटर तक की दूरी के हवाई लक्ष्यों को भेद सकती है. वायु सेना में औपचारिक रूप से जुलाई 2015 में इस मिसाइल को शामिल किया गया था. अमेरिकी एमआईएम-104 पैट्रियट मिसाइल की तुलना में आकाश में लड़ाकू विमानों, क्रूज मिसाइलों और हवा से सतह पर प्रहार करने वाली मिसाइलों को भेदकर गिराने की क्षमता है.

साल 2017 में आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि देश में निर्मित जमीन से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल (Akash missile) 30 फीसदी बुनियादी परीक्षणों में फेल हो गई. यह खुलासा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने अपनी रिपोर्ट में किया था. मिसाइल के परीक्षण अप्रैल से नवंबर 2014 के बीच हुए थे. कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि मिसाइलों की कमी के कारण देश युद्ध के दौरान एक जोखिम के दौर से गुजर सकता है. सीएजी की रिपोर्ट संसद को सौंपी जा चुकी है.

मिसाइल बनाने वाली बेंगलुरु की कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड को इसको बनाने के एवज में 95 फीसदी भुगतान (करीब 3600 करोड़ रुपये) किया जा चुका है. भारतीय वायुसेना ने इस मामले पर कोई भी टिप्‍पणी करने से मना कर दिया है. हालांकि बताया जा रहा है कि अब आकाश मिसाइल (Akash missile) की खामियों को दूर कर लिया गया है.

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