नई दिल्ली। एक तरफ चीन अपने फायदे के लिए पाकिस्तान के साथ दोस्ती निभा रहा है, वहीं दूसरी ओर वह मुस्लिमों पर जुल्म की इंतेहा पार कर रहा है. यूं तो चीन में उइगर मुस्लिमों के साथ होने वाले अत्याचार की कई खबरें में मीडिया में आती हैं, लेकिन इस बार इसी समाज की सताई गई एक महिला ने दर्द भरी दास्तां बयां की है. उइगर समाज की महिला ने खुलकर बताया है कि चीन में उसके समाज के लोगों के साथ किस तरह के अत्याचार और प्रताड़ित किया जाता है. महिला का कहना है कि चीन की पुलिस और प्रशासन कभी भी किसी भी उइगर को उठाकर ले जाते हैं और उन्हें प्रताड़ित करते हैं.
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक उइगर समाज की महिला गुलनाज ने इंडिपेंडेंट में एक आलेख लिखा है. इस आलेख में उसने बताया है कि चीन उइगर समाज के लोगों से नफरत करता है. चीनी लोग चाहते हैं कि उइगर उन्हीं की धर्म और संस्कृति को अपना लें. वे इस्लाम से पूरी तरह नफरत करते हैं. उइगर अपनी सभ्यता-संस्कृति छोड़ना नहीं चाहते हैं, इसलिए चीनी लोग अत्याचार करते हैं.
गुलनाज ने बताया है कि चीन में एक बच्चे का नियम खत्म हो चुका है, इसके बाद भी चीनी प्रशासन उइगर समाज के लोगों पर पैनी नजर रखती है. जब-तब इस समाज के किसी भी महिला का गर्भपात कर दिया जाता है. उसने बताया है कि गर्भपात के दौरान ही उनकी एक पड़ोसन की जान चली गई थी. इस घटना के बाद ही उनके परिवार ने चीन छोड़ने का फैसला लिया. महिला ने बताया कि चीन से निकलकर वह यूएई में रहने चली गईं, लेकिन चीनी दूतावास यहां भी उनपर नजर रखता था. आखिरकार उनका परिवार लंदन में रह रहे हैं.
गुलनाज ने लिखा है कि 1949 में पूर्वी तुर्कस्तान पर चीन ने कब्जा कर लिया था, जिसके बाद से यहां बच्चों को कुरान से दूर किया जाने लगा. इसके बाद मस्जिदों पर पाबंदी लगाई गई। धीरे-धीरे चीन की दखल और बढ़ी और उन्होंने रमजान, दाढ़ी बढ़ाना, बच्चों के इस्लामिक नाम रखने तक पर रोक लगाने लगा.
उइगर समाज के लोगों को आर्थिक मोर्चे पर कमजोर करने के लिए चीन ने चीनी भाषा न आने पर इस समाज के लोगों को नौकरी देने से मना करने लगा. महिला के आलेख में दावा किया गया है कि कैद किए जाने वाले उइगर लोगों का अंग भंग कर दिया जाता है. इसके अलावा उनके अंगों की तस्करी तक की जाती है. महिला ने उइगर मुसलमानों के घर के बाहर लग रहे क्यूआर कोड सिस्टम का भी जिक्र किया है।
गुलनाज ने बताया है कि वह इस आलेख को इसलिए लिख पा रही हैं क्योंकि फिलहालर उनका परिवार लंदन में है. जब वह 11 साल की थी तब वह चीन में रहती थीं. वह लिखती हैं कि जब वह चीन में थीं तो उनके मन में इतना डर था कि अगर वह चीनी पुलिस या प्रशासन के चंगुल में फंस जाएंगी तो शायद उसके मां-पिता भी उसे नहीं बचा पाएंगे.