नई दिल्ली। सरकार ने गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया है. इस संबंध में जो शर्तें लगाई गई हैं, उनके मद्देनजर ये कहा जा सकता है कि इस तरह आरक्षण का लाभ देश की लगभग पूरी आबादी को मिलेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि 27 प्रतिशत ओबीसी और 21.5 प्रतिशत आरक्षण एस-एसटी आबादी को पहले से मिला है. उसके बाद अब 10 प्रतिशत गरीब सवर्णों के लिए जो आरक्षण की व्यवस्था की गई है, उसकी शर्तों पर यदि गौर किया जाए तो उसके आबादी में लगभग पूरी आबादी आ जाती है. शर्तों के आधार पर इसको बिंदुवार तरीके से इस प्रकार समझा जा सकता है:
1. सरकार ने कहा है कि 8 लाख से कम आमदनी वाले लोगों को आरक्षण का लाभ मिलेगा. आयकर विभाग और एनएसएसओ के आंकड़े बताते हैं कि देश के करीब 95 प्रतिशत परिवारों की सालाना आमदनी इससे कम है. आंकड़ों के मुताबिक यदि किसी पांच सदस्यों के एक परिवार की आमदनी सालाना आठ लाख रुपये है तो इसका मतलब यह हुआ कि उनमें से हरेक की औसत आमदनी प्रति माह 13 हजार से थोड़ी ज्यादा होगी. जबकि एनएसएसओ का 2011-12 का आंकड़ा बताता है कि ग्रामीण क्षेत्र में एक व्यक्ति की औसत मासिक आय 2,625 रुपये और शहरी क्षेत्र में एक व्यक्ति की औसत मासिक आय 6,015 है. यानी दोनों ही श्रेणियों के लोग आठ लाख से कम आमदनी के दायरे में आएंगे. इस तरह आठ लाख से ऊपर आमदनी वाले केवल 5 प्रतिशत परिवारों को ही आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा.
2. सरकार ने कहा है कि पांच एकड़ से कम भूमि पर खेती करने वाले परिवारों को आरक्षण का लाभ मिलेगा. 2015-16 के कृषि आंकड़े के मुताबिक देश के 86.2 प्रतिशत जमीन धारकों के पास दो हेक्टेयर से कम जमीन है, जोकि पांच एकड़ से कम होता है. इस प्रकार इस तबके को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा.
3. आरक्षण की शर्तों का तीसरा पैमाना बताया गया है कि यदि किसी के पास 1000 वर्ग फीट से छोटा घर है तो उसको भी लाभ मिलेगा. एनएसएसओ की 2012 की एक रिपोर्ट बताती है कि देश की 20 प्रतिशत संपन्न आबादी के पास औसतन 45.99 वर्ग मी के फ्लोर एरिया का घर है, जोकि 500 वर्ग फीट बैठता है. इस तरह करीब 80-90 प्रतिशत लोग आरक्षण के दायरे में होंगे.