लगभग एक हफ्ते से हमास और इजरायल के बीच युद्ध चल रहा है। दोनों पक्षों के बीच लड़ाई बद से बदतर होती जा रही है। जिस तरह इजरायल में हमास के हमलों से मरने वालों का सिलसिला जारी है, उसी तरह इजरायल के जवाबी हमलों से गाजा धीरे-धीरे लाशों के ढेर से भरता जा रहा है। इजरायली धरती पर रॉकेट हमले जारी हैं। उस हमले का विरोध करने के साथ ही इजरायल एक के बाद एक हवाई हमले कर रहा है। फिलिस्तीन की शिकायत है कि इजरायल गाजा पर हमला करने के लिए ‘सफेद फॉस्फोरस बम’ का इस्तेमाल कर रहा है।
क्या है सफेद फॉस्फोरस बम?
आखिर सफेद फॉस्फोरस बम क्या है? इस बम के प्रयोग से क्या प्रभाव होंगे? ऐसे बमों के इस्तेमाल पर कई साल पहले ही प्रतिबंध लगा दिया गया था। लेकिन हमास के साथ युद्ध में फिलिस्तीनियों ने इजरायल पर उनके घनी आबादी वाले इलाकों में ऐसे बम गिराने का गंभीर आरोप लगाया है। सफेद फास्फोरस एक मोम जैसा रसायन है। कभी-कभी इसका रंग पीला होता है इससे बासी और सड़े हुए लहसुन जैसी गंध आती है।
कितना है खतरनाक
यह रसायन तब तक जलता रहेगा जब तक यह ऑक्सीजन के संपर्क में रहेगा। यह रसायन शरीर को भयंकर रूप से जला देता है। इतना ही नहीं, यह रसायन त्वचा, मांस, नसों और यहां तक कि हड्डियों में भी प्रवेश कर जाता है। फॉस्फोरस बम के प्रयोग से 815 डिग्री सेल्सियस तापमान उत्पन्न होता है। इसके साथ सफेद गाढ़ा धुआं भी उत्पन्न होता है। जमीन पर गिरते ही इस बम ने तेजी से आग जाती है जिससे निपटना मुश्किल है। परिणामस्वरूप इसका प्रभाव तीव्र और अत्यंत गंभीर हो जाता है।
कब-कब हुआ इस्तेमाल
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सफेद फॉस्फोरस बमों का अंधाधुंध प्रयोग किया गया। इस प्रकार के बम का प्रयोग अमेरिका ने जर्मनी के विरुद्ध किया था। यह भी दावा किया जाता है कि इन बमों का इस्तेमाल सैनिकों के अलावा जानबूझकर जर्मन बस्तियों में भी किया गया था। इराक युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना पर भी इस बम के इस्तेमाल का आरोप लगा था।