इजरायल पर हुए सदी के सबसे बड़े हमले के बाद खुफिया तंत्र पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद जो दुनिया भर में अपने अभियानों की वजह से जानी जाती है, उसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. आखिर मोसाद को भनक को क्यों नहीं लगी कि इजरायल के खिलाफ इतनी बड़ी साजिश हो रही है. इजरायल पर हमले के बाद सीआईए के पूर्व ऑफिसर ने अमेरिकी एजेंसी पर भी सवाल उठाए हैं.
हमास के हमले की भनक इजरायल को क्यों नहीं लगी? हमास ने हमले की योजना एक दो दिन में तो बनाई नहीं होगी. इसके पीछे सधी हुई रणनीति थी, सॉलिड कोऑर्डिनेशन था.
दुनिया भर के आलोचक और विशेषज्ञ पूछ रहे हैं कि आखिर इजरायल से इतनी बड़ी चूक हुई कैसे? सवाल सिर्फ मोसाद की असफलता का नहीं है. अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. इजरायल का परम सहयोगी अमेरिका और उसकी खुफिया एजेंसी हमास के खौफनाक मंसूबों को क्यों नहीं समझ पाई? अमेरिका को इजरायल का जिगरी दोस्त कहा जाता है. कई बार मोसाद और सीआईए को संयुक्त ऑपरेशन करते भी देखा गया है. लेकिन इस बार इजरायल की पीठ के पीछे हमास के आतंकी हमले की योजना बनाते रहे, लेकिन मोसाद और सीआईए को खबर तक नहीं लगी.
दरअसल, साल 1973 में जब मिस्र ने इजरायल पर हमला किया, तब भी इसी तरह के सवाल उठे थे कि आखिर सुरक्षा एजेंसिया क्या कर रही थीं? हालांकि उस युद्ध को इजरायल ने जीता लिया था. अब एक बार फिर से हमास के आतंकियो ने इजरायल पर हमला बोल दिया है.
विशेषज्ञ ने 9/11 के आतंकी हमले से की तुलना
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए में 26 साल की सर्विस दे चुके मार्क पॉलीमेरापोलस ने इसकी तुलना 9/11 के आतंकी हमले से कर दी. मार्क ने कहा कि ये इजरायल पर 9/11 जैसा हमला है. साथ ही उन्होंने कहा इसे इजरायल का दूसरा सबसे बड़ी खुफिया नाकामी कहा है. उन्होंने कहा कि ये समझ से परे है कि इजरायल की इतनी बड़ी चूक कैसे कर सकता है?
दुनिया के सामने एक और युद्ध बना चुनौती
बता दें कि इजरायल पर हुए सदी के सबसे बड़े आतंकी हमले ने विश्व पर एक और युद्ध थोप दिया है. कारण, यूक्रेन और रूस का युद्ध चल ही रहा था कि इधर इजरायल ने भी हमास के खिलाफ अभियान शुरु कर दिया है. हालात पर जल्द काबू पाया जाए, इसको लेकर अमेरिका ने पहल की है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने यूरोपियन यूनियन यानी ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी से बातचीत की है.
अमेरिका भले ही अब बातचीत के जरिए समाधान निकालने की पहल कर रहा है, लेकिन मार्क पॉलीमेरापोलस कहते हैं कि सीआईए को इस बात की भनक क्यों नहीं लगी. अमेरिका के मित्र देश जॉर्डन, कतर, सऊदी अरब को हमले की आहट क्यों नहीं लगी?
‘अच्छा होता अगर इजरायल को पहले ही पता चल जाता’
ग्लोबल सिक्योरिटी और फॉरेन पॉलिसी पर काम करने वाले संगठन द सौफान सेंटर ने भी इसे इजरायली एजेंसियों का फेल्योर माना है. सौफान सेंटर के सीनियिर रिसर्च स्कॉलर कोलिन क्लार्क ने कहा कि इजरायल के पास विश्वस्तरीय खुफिया तंत्र और विश्लेषण की क्षमता है और अच्छा होता यदि उन्हें पता चल जाता कि उनके पीठ पीछे क्या हो रहा है.
इजरायल पर 50 साल में पहली बार ऐसा हमला
गौरतलब है कि इजरायल पर हमास ने कई बार हमले किए, लेकिन पिछले 50 सालों में कभी ऐसा नहीं हुआ कि बॉर्डर पर लगी दीवार को तोड़कर हमास के आतंकी इजरायल में घुसे हो. हमास के आतंकियों ने इजरायल के शहरों में जमकर खूनखराबा किया. निर्दोष नागरिकों की हत्याएं की. हालांकि अब इजरायल की सेना हमास के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है.