हमास के आतंकियों ने इजरायल पर हमला बोल दिया और शनिवार तड़के कम-से-कम पांच हजार रॉकेट दागे। इन हमलों में इजरायल के 40 लोगों की जान चली गई। हमास के आतंकी बंदूक लेकर इजरायल में घुस आए और जमकर कत्लेआम मचाया। इजरायली सेना ने हमास के आतंकियों से लोहा ले रही है और कई घंटों से मुठभेड़ जारी है। उधर, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने देश की जनता से कहा कि हम युद्धरत हैं। उन्होंने दावा किया कि हमास ऐसी कीमत चुकाएगा, जैसा उसने सोचा भी न होगा। नेतन्याहू ने कहा, ”हम युद्धरत हैं। अभियान नहीं, बल्कि युद्ध छिड़ गया है।” इन सबके बीच सवाल उठ रहे हैं कि इराक और सीरिया में आतंक मचाने वाला खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) भी जिस इजरायल से थर-थर कांपता था, उस पर हमास की हमला करने की कैसे हिम्मत हो गई?
दरअसल, इराक और सीरिया जैसे देशों में आईएस के आतंकियों ने काफी कत्लेआम मचाया था। उस समय आईएस के चंगुल से छूटकर आए एक पश्चिमी देश के पत्रकार ने बताया था कि इजरायल दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जिससे आईएस आतंकी संगठन भी डरता है। जुर्गन टोडेनहोफर नामक पत्रकार ने साल 2015 में इस्लामिक स्टेट के बंधन में 10 दिन बिताए थे और अपने निष्कर्षों को एक किताब में लिखा था। यहूदी समाचार के साथ एक इंटरव्यू में जर्मन रिपोर्टर ने कहा था कि ”आईएस जिस एकमात्र देश से डरता है वह इजरायल है। आतंकियों ने मुझे बताया कि वे जानते हैं कि इजरायली सेना उनके लिए बहुत मजबूत है।”
इजरायल से थर-थर कांपते थे आतंकी
पत्रकार टोडेनहोफर ने बताया था कि आईएस के आतंकियों को लगता है कि वे अमेरिका और ब्रिटेन के जमीनी सैनिकों को हरा सकते हैं, क्योंकि उन्हें गुरिल्ला या आतंकवादी रणनीतियों का कोई अनुभव नहीं है। लेकिन वे जानते हैं कि जहां तक आतंकवादियों के खिलाफ लड़ने की बात है तो इजरायली बहुत सख्त हैं।” पत्रकार ने आगे कहा कि जिन आईएस आतंकवादियों से उनकी मुलाकात हुई, उन्होंने दावा किया कि वे ब्रिटिश या अमेरिकी सैनिकों से नहीं डरते, लेकिन उनका मानना है कि इजरायली रक्षा बल (आईडीएफ) एक वास्तविक खतरा हैं। हालांकि, आईएस ने अपने प्रोपेगैंडा वीडियो में इजरायल और यहूदी लोगों के खिलाफ कई धमकियां भी दी थीं और यहूदी धर्म को खत्म करने की कसम तक खा ली थी, लेकिन इजरायल की धमक के आगे आतंकियों की एक न चली।
ऐसे में अब इजरायल से कमजोर माने जाने वाले हमास ने अचानक ताबड़तोड़ हमले कर दिए तो सवाल उठने लगे हैं कि आखिर ऐसा कैसे संभव हो पाया? क्या खुफिया एजेंसियों से चूक हो गई है? इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद का भी दुनियाभर में काफी नाम है और माना जाता है कि भले हमलावर किसी भी कोने में छिपा बैठा हो, मोसाद उसे ढूंढकर खत्म कर देती है। इस एजेंसी के बारे में कहा जाता है कि पहले वह अपने दुश्मन के बारे में पूरी तरह से पता करती है, उसके एजेंट रिसर्च करते हैं और फिर मिशन को अंजाम देती है। मोसाद के अलावा भी इजरायल में कई अन्य खुफिया एजेंसियां काम करती हैं, लेकिन सभी इस बार हमले का समय पर अंदाजा लगाने में विफल रहीं। हमास के हमले के बाद इजरायली राजनीतिक विश्लेषकों ने योजना और समन्वय के स्तर पर हमास हमले का अनुमान लगाने में विफलता पर सरकार की आलोचना की है।