राजस्थान में विधानसभा चुनाव में बमुश्किल तीन महीने का ही वक्त बचा है, लेकिन लगता है भाजपा अभी अपने ही पेच कसने में जुटी है। खासतौर पर वसुंधरा राजे को सीएम फेस बनाने को लेकर पार्टी पसोपेश की स्थिति में है। भले ही उसने इस पर कुछ साफतौर पर नहीं कहा है, लेकिन संकेतों में यह जरूर जाहिर किया है कि वसुंधरा राजस्थान की धरा पर पहले की तरह ताकतवर नहीं रहेंगी। यही वजह है कि राजस्थान के लिए घोषित दो कमेटियों में से किसी में भी उन्हें जगह नहीं दी गई है। चुनाव घोषणा पत्र समिति का मुखिया पार्टी ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को बनाया है। वहीं इलेक्शन मैनेजमेंट कमेटी के मुखिया पूर्व सांसद नारायण लाल पंचारिया बनाए गए हैं।
समितियों से भाजपा ने साध लिए सामाजिक समीकरण
मेघवाल के अलावा समिति में 7 संयोजक भी शामिल हैं। इनमें राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी, सांसद किरोड़ी लाल मीणा, राष्ट्रीय सचिव अल्का सिंह गुर्जर, पूर्व विधायक राव राजेंद्र सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महारिया और भाजपा पार्षद राखी राठौर शामिल हैं। गौरतलब है कि वसुंधरा राजे को राजस्थान में नेतृत्व दिया जाए या नहीं, इसे लेकर भाजपा पसोपेश में रही है। हालांकि उनके मुकाबले कोई दूसरा कद्दावर नेता वह तैयार भी नहीं कर सकी है। गजेंद्र सिंह शेखावत के नाम की अकसर चर्चाएं होती हैं, लेकिन विधायकों के बीच वसुंधरा का अब भी अच्छा खासा प्रभाव है। ऐसे में देखना होगा कि टिकट बंटवारे में किसके करीबियों को ज्यादा मौका मिलता है।