किसी भी देश की उन्नति में वहाँ के मध्यम वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। संख्या के हिसाब से सबसे अधिक होने के कारण यह टैक्स के रूप में देश की अर्थव्यवस्था में सबसे अधिक योगदान भी करता है। इसलिए मीडिल क्लास को किसी देश की रीढ़ की हड्डी यानी बैकबोन भी कहा जाता है। इसी मीडिल क्लास को पत्रकार राजदीप सरदेसाई सांप्रदायिक बता रहे हैं।
एक कार्यक्रम में बोलते हुए राजदीप ने कहा, “सच्चाई ये है कि हमारे देश का मध्यम वर्ग सबसे ज्यादा सांप्रदायिक बन गया है। गरीब सांप्रदायिक नहीं होता। गरीब हिंदू-मुस्लिम को एक-दूसरे की जरूरत ज्यादा पड़ती है। जब हम अमीर, मीडिल क्लास बनते हैं तब हम हमारी धार्मिक आइडेंटिटी को सांप्रदायिकता में बदलते हैं।”
उन्होंने स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भी नहीं छोड़ा। इंडिया टुडे चैनल के पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने आगे कहा, “सोशल मीडिया हो या ह्वाट्सएप हो, जिस तरह की बयानबाजी होती है, वो मध्यमवर्गीय जो स्कूल, कॉलेज आदि में जाते हैं उनमें सबसे ज्यादा होती है।”
देश में वामपंथ के कमजोर या कह लुप्त होने के कगार पर पहुँचने की वजह भी उन्होंने मध्यम वर्ग को दिया। उन्होंने मीडिल क्लास को स्वार्थी बताया। राजदीप ने कहा, “लेफ्ट कमजोर क्यों हुआ है, क्योंकि मीडिल क्लास बढ़ा है। मीडिल क्लास अपने स्वार्थ के लिए एक तरह से आगे बढ़ता है।”
Middle Class is the backbone of every economy that drives the engine of growth and prosperity,
But according to Intellectual 'Rajdeep Sardesai' middle class are the most communal people.
So what's the solution ? Go back to Socialist India where . . . pic.twitter.com/eE7O4Tzm12
— मयंक सिंह (@MayankkSingh_) August 6, 2023
हर तरफ आलोचना होने के बाद राजदीप सरदेसाई ने इसे जेनरलाइज नहीं करने की अपील की। इसके साथ ही उन्होंने मध्यम वर्ग की तारीफ करते हुए माफी भी माँगी। राजदीप ने कहा कि उनके बयान से अगर को धक्का पहुँचा है तो वो इसके लिए माफी माँगते हैं।
अपने X पोस्ट में राजदीप ने कहा, “मैं चाहता हूँ कि लोग छोटी क्लिप पर टिप्पणी करने से पहले Lallantop पर नेता नगरी का पूरा 200वाँ एपिसोड देखें। भारत का मध्यम वर्ग आश्चर्यजनक रूप से आकांक्षी, मेहनती, साधन संपन्न है और अगली सदी में भारत को आगे बढ़ाएगा। यह हमारा विकास इंजन है।”
हालाँकि, उन्होंने अपनी बात को दोहराते हुए कहा, “इसका (मीडिल क्लास का) एक हिस्सा साम्प्रदायिक ज़हर में भी डूबा हुआ है। (मैं सामान्यीकरण नहीं करना चाह रहा था, अगर ऐसा लगा तो मैं माफी माँगता हूँ)। महान राष्ट्र पुल बनाने वालों से बनते हैं, विभाजन से नहीं। हमें (हिंदू, मुस्लिम, सभी समुदायों को) एक भारत के रूप में प्रतिबिंबित करने और एक साथ आगे बढ़ने की जरूरत है।”