राजस्थान के कोटा के मेडिकल कॉलेज न्यू हॉस्पिटल में बुधवार रात एक मरीज की की दर्दनाक मौत हो गई. ऑक्सीजन मास्क में उठी चिंगारी से इसमें आग लग गई और यह मास्क मरीज की गर्दन पर ही चिपक गया. अब प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं. अधिकारियों ने कहा कि वरिष्ठ डॉक्टरों और फोरेंसिक टीम का एक पैनल 23 वर्षीय व्यक्ति की इलाज के दौरान हुई मौत के बाद यहां एक सरकारी अस्पताल के खिलाफ चिकित्सकीय लापरवाही के आरोपों की जांच करेगा.
मृतक के परिजनों ने दावा किया कि अनंतपुरा तालाब के निवासी वैभव शर्मा की बुधवार रात तब मौत हो गई,जब आईसीयू में डायरेक्ट करंट (डीसी) कार्डियोवर्जन शॉक उपचार के बाद उनके चेहरे पर लगे ऑक्सीजन मास्क में कथित तौर पर आग लग गई. यह मास्क उनके गर्दन पर चिपक गया. वहीं न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल, कोटा के अधिकारियों ने लापरवाही के आरोपों को खारिज कर दिया, हालांकि उन्होंने पुष्टि की कि ऑक्सीजन मास्क में आग लग गई थी. उन्होंने बताया कि मृतक गंभीर हालत में जीआई वेध वाला टीबी का मरीज था. उन्होंने बताया कि मरीज को डीसी शॉक देने से एक घंटे पहले उन्हें सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) दिया गया था.
मरीज को दिए जा रहे थे इलेक्ट्रिक शॉक
घटना बुधवार रात करीब 10 बजे की है. परिवार ने कहा कि वैभव की हालत दोपहर 3 बजे के आसपास बिगड़ने लगी और उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया. रात करीब 10 बजे उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट दिया गया लेकिन जब उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ तो उन्हें डीसी कार्डियोवर्जन शॉक दिया गया. वैभव के भाई गौरव ने दावा किया कि इलाज के दौरान इलेक्ट्रिक शॉक देने के बाद उनके भाई की हालत ठीक थी और जब ऑक्सीजन मास्क में अचानक आग लग गई तो मेडिकल स्टाफ अपने कमरे में भाग खड़ा हुआ. गौरव ने आरोप लगाया कि मेडिकल स्टाफ भाग गया और उसे आग बुझानी पड़ी जिसके कारण वह झुलस गया. गौरव ने कहा, इस बीच, मास्क चेहरे पर चिपक जाने के कारण वैभव का पूरा चेहरा और गर्दन जल गई.
अस्पताल की सफाई
हालांकि, एनएमसीएच के अधीक्षक डॉ. आरपी मीणा ने कहा कि मरीज पहले ही मौत की चपेट में आ चुका था और उसे पुनर्जीवित करने के लिए सीपीआर के एक घंटे के बाद डीसी शॉक दिया गया था. मृतक मरीज पहले से ही दोनों फेफड़ों में संक्रमण के साथ टीबी से पीड़ित था और उसे गंभीर स्थिति में भर्ती कराया गया था. उन्होंने डीसी शॉक के बाद ऑक्सीजन मास्क में आग लगने को “दुर्लभतम” घटना का जिक्र करते हुए कहा कि आग लगने के पीछे का कारणों का पता नहीं चल सका है.
जांच कमेटी गठित
मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ संगीता सक्सेना ने बताया कि घटना की जांच के लिए सर्जरी और फोरेंसिक के वरिष्ठ प्रोफेसरों की 4 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. उन्होंने कहा कि घटना की जांच के लिए बायोमेडिकल इंजीनियरों को भी बुलाया गया था और 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपी जाएगी.
हालांकि, सक्सेना ने दावा किया कि मरीज की लंबी बीमारी के कारण पहले ही मौत हो चुकी थी. डीएसपी हर्षराज ने कहा कि पुलिस ने मौत के वास्तविक कारण की जांच के लिए सीआरपीसी की धारा 174 के तहत मामला दर्ज किया है. मृतक के परिजनों ने कुछ कांग्रेस और भाजपा नेताओं के साथ मिलकर परिवार को मुआवजा देने की मांग को लेकर धरना दिया.