पटना में विपक्षी दलों की महाबैठक शुरू हो चुकी है. इसी बीच आम आदमी पार्टी की ओर से बड़ा बयान आया है. पार्टी ने कांग्रेस पर बीजेपी के साथ मिले होने का आरोप लगाया है. आम आदमी पार्टी की ओर से कहा गया कि केंद्र की ओर से लाए गए अध्यादेश के मामले पर बीजेपी और कांग्रेस में साठगांठ हुई है.
आम आदमी पार्टी ने बयान जारी करते हुए कहा कि ‘हमें जानकारी मिली है कि राहुल गांधी और बीजेपी के बीच समझौता हो चुका है कि वो गैरकानूनी अध्यादेश के खिलाफ बीजेपी के साथ खड़े हैं. असंवैधानिक अध्यादेश के जरिए दिल्ली के लोगों और दिल्ली सरकार का अधिकार छीना गया है. कांग्रेस को इतना समय क्यों लग रहा है? कांग्रेस को अपना स्टैंड स्पष्ट करना चाहिए कि वो संविधान के साथ खड़े हैं या बीजेपी के? ‘
दरअसल, दिल्ली सीएम केजरीवाल केंद्र के लाए अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों का समर्थन मांग रहे हैं. अगर राज्यसभा में सीएम केजरीवाल को विपक्षी दलों का समर्थन मिलता है तो केंद्र के अध्यादेश को कानून बनने से रोका जा सकता है. इसी एजेंडे को लेकर सीएम केजरीवाल पटना में हो रही विपक्षी दलों की बैठक में भी पहुंचे हुए हैं. दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ‘अध्यादेश दुख’ से पीड़ित हैं. वह पहले ही अल्टीमेटम दे चुके हैं कि विपक्षी एकता से पहले सभी दल अध्यादेश के खिलाफ एकजुट हों.
मीटिंग में अध्यादेश का एजेंडा लेकर पहुंचे हैं केजरीवाल
बता दें कि सीएम केजरीवाल अध्यादेश के खिलाफ अलग-अलग राजनीतिक दलों से मुलाकात कर रहे थे, लेकिन उन्हें अभी तक कांग्रेस ने मुलाकात का वक्त नहीं मिल पाया था. केजरीवाल से मंगलवार को मीडिया ने पूछा था कि, 23 जून को विपक्षी दलों की बैठक है लेकिन केंद्र सरकार के मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी को कांग्रेस का समर्थन अब तक नहीं मिल पाया है? उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि ‘विपक्षी दलों की बैठक में सारी पार्टियां कांग्रेस से पूछेंगी कि वह अपना स्टैंड बताएं. उस मीटिंग का सबसे पहला एजेंडा अध्यादेश होगा. मीटिंग में मैं संविधान लेकर जाऊंगा और सारी पार्टियों को समझाऊंगा कि दिल्ली के अंदर जनतंत्र को खत्म करने के लिए साजिश रची गई है.’
केजरीवाल ने जताई है सहयोग की उम्मीद
केजरीवाल ने कहा कि यह ना समझें कि दिल्ली आधा राज है, इसलिए दिल्ली के बारे में अध्यादेश आया है. यह अध्यादेश तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और पंजाब में भी आ सकता है. पूर्ण राज्य वाले सत्ताधारी विपक्षी दलों की तरफ इशारा करते हुए केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार पूर्ण राज्य के अंदर भी अधिकार खत्म कर सकती है. इसमें बिजली शिक्षा जैसे कई विभाग शामिल हैं. राज्यसभा में बिल आता है तो उसे जीतने नहीं देंगे. हमें सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ पार्टियों से भी उम्मीद है.