आपने मुझे मुख्यमंत्री बनाने को वोट दिया था, पर… पहली बार झलका डीके शिवकुमार का दर्द

कांग्रेस के कद्दावर नेता और कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने पद संभालने के बाद पहली बार शनिवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र कनकपुरा का दौरा किया. यहां लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया. स्वागत से गदगद दिखे शिवकुमार ने अपने समर्थकों को बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और गांधी परिवार के सदस्यों की सलाह के बाद उन्हें सीएम पद की दावेदारी छोड़नी पड़ी.

झलका डीके का दर्द

शनिवार को अपने समर्थकों को संबोधित करते शिवकुमार ने कहा, ‘आपने मुझे मुख्यमंत्री बनाने के लिए बड़ी संख्या में वोट दिया, लेकिन क्या करें? एक निर्णय किया गया था. राहुल गांधी, सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने मुझे कुछ सलाह दी. मुझे उनकी बातों पर सिर झुकाना पड़ा. अब मुझे धैर्य रखकर प्रतीक्षा करनी चाहिए. लेकिन आप सबकी जो भी इच्छा है वह व्यर्थ नहीं जाएगी, हमें सब्र करना चाहिए. मैं इस समय आपको केवल यही बताना चाहता हूं.’

सिद्धारमैया को मिली थी कुर्सी

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिले शानदार जनादेश के बाद सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों नई दिल्ली पहुंचे थे और सीएम पद के लिए दावेदारी पेश करते हुए आलाकमान के साथ कई बैठकें कीं. हालाँकि, कई दौर की चर्चा के बाद, कांग्रेस आलाकमान ने सिद्धारमैया के नाम पर मुहर लगा दी. केपीसीसी अध्यक्ष डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम पद के लिए संतोष करना पड़ा.

कैबिनेट विस्तार के बाद हुए पोर्टफोलियो वितरण के दौरान सीएम सिद्धारमैया ने अपने पास वित्त विभाग रखा है, जबकि डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को सिंचाई और बेंगलुरु सिटी डेवलपमेंट विभाग की जिम्मेदारी दी.

इंटरव्यू में कही थी धैर्य की बात

एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वे सोनिया गांधी को अपनी मां के समान मानते हैं और हमेशा उनकी इच्छाओं का पालन करेंगे. टाइम्स ऑफ इंडिया को दिये इंटरव्यू में उनसे पूछा गया कि ईडी के एक मामले में जब आप जेल गए थे, तब आपने कसम खाई थी, जब तक आप सत्ता में नहीं आएंगे, तब तक आप अपनी दाढ़ी नहीं कटवाएंगे. क्या अब आप इसे शेव करेंगे? इस पर शिवकुमार ने कहा, ‘नहीं, वह समय अभी नहीं आया है. जैसा कि मैंने कई बार कहा है, धैर्य ही मेरी ताकत है. मैं अब भी धैर्य से काम ले रहा हूं.’

आपको बता दें कि 15 मई 1962 को कर्नाटक में जन्मे (DK Shivkumar Born) शिवकुमार ने 1980 के दशक की शुरुआत में एक छात्र नेता के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. धीरे-धीरे कांग्रेस पार्टी के रैंकों के माध्यम से आगे बढ़ते रहे. वह लगातार चार बार 1989, 1994, 1999 और 2004 में सथानूर सीट से जीते. उन्होंने 2008 से कनकपुरा से चुनाव लड़ा और तब से आज तक कभी हार का मुंह नहीं देखा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *