इस्लामाबाद। तुर्की के प्रति संवेदना दिखाने के चक्कर में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय बेइज्जती करवा ली है। तुर्की में भूकंप के कारण तबाही मची हुई है। दुनियाभर के देश तुर्की को राहत सामग्री और बचाव टीमें भेज रहे हैं। लेकिन, पाकिस्तान को इस आपदा को अवसर में भुनाने की कोशिश की, जो उसी को उल्टा पड़ गया। दरअसल, शहबाज शरीफ ने तुर्की के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए अंकारा की यात्रा का ऐलान कर दिया। उन्होंने यह नहीं सोचा कि जो देश इस समय प्राकृतिक विभीषिका को झेल रहा है, वहां वीआईपी दौरे पर संसाधनों को नहीं झोंकना चाहिए। ऐसे में तुर्की ने खुद ही पीएम शहबाज शरीफ की अगवानी करने से इनकार कर दिया।
पाकिस्तान ने यात्रा रद्द करने का क्या बहाना बनाया
पाकिस्तान की सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने कहा कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की आज की तुर्की यात्रा स्थगित हो गई है। उन्होंने बताया कि तुर्की और सीरिया में सोमवार की सुबह आए भीषण भूकंप के बाद जारी राहत कार्यों को देखते हुए प्रधानमंत्री शहबाज की यात्रा को स्थगित किया गया है। शहबाज आज तुर्की के लिए रवाना होने वाले थे। उन्होंने 51 सदस्यीय बचाव दल भेजने के साथ एक राहत कोष भी स्थापित किया था। लेकिन, पाकिस्तान खुद कंगाल है, ऐसे में वह तुर्की को कितनी आर्थिक मदद दे पाएगा, यह सवालों के घेरे में है।
तुर्की और सीरिया में आए भूकंप से अब तक 11000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि लाखों लोग घायल हैं और मलबे में फंसे हुए हैं। इस विनाशकारी भूकंप का केंद्र मध्य तुर्की के कहारनमारस में था। भूकंप के झटके ग्रीनलैंड के रूप में दूर तक महसूस किए गए। इस भूकंप के आफ्टरशॉक्स और अत्याधिक सर्द मौसम ने स्थिति को और अधिक खराब कर दिया है। कई इलाकों में बारिश भी हो रही है, जिसने राहत और बचाव कार्य को और ज्यादा मुश्किल बना दिया है।
पाकिस्तान ने भूकंप प्रभावित तुर्की और सीरिया के लिए 21 टन से अधिक राहत सामग्री भेजी है। पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस के एक प्रवक्ता ने कहा कि एनडीएमए की ओर से पीआईए के दो विमान बुधवार सुबह इस्लामाबाद से इस्तांबुल और दमिश्क के लिए रवाना हुए। उन्होंने कहा कि पीआईए की उड़ानें पीके-705 और पीके-9135 7.4 टन और 14 टन कार्गो (भूकंप-राहत सहायता) लेकर इस्लामाबाद से इस्तांबुल और दमिश्क के लिए क्रमश: सुबह 8:45 और 10:30 बजे रवाना हुईं। प्रवक्ता ने विस्तार से बताया कि 14 टन सहायता, जिसे दमिश्क भेजा गया था, में सर्दियों के तंबू और कंबल भी शामिल थे
पाकिस्तान और तुर्की के संबंध काफी मजबूत हैं। दोनों देश रक्षा और व्यापार क्षेत्र में भी करीबी से काम कर रहे हैं। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन तो इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान को आंख मूंदकर समर्थन करते हैं। यही कारण है कि तुर्की ने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ दिया है। खुद एर्दोगन और वहां के विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र में कई बार कश्मीर मुद्दा उठाया है। यह वही तुर्की है, जिसके इजरायल से बेहतरीन संबंध हैं, जबकि उसके फिलिस्तीन के साथ पुरानी दुश्मनी है।