नई दिल्ली। शराब घोटाले को लेकर दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Delhi Deputy CM Manish Sisodia) पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा दर्ज FIR में सिसोदिया आरोपित नंबर एक हैं। वही, प्राथमिकी में 14 अन्य नाम भी हैं, जिनमें दो कंपनियों के नाम शामिल हैं।
ये पूरा मामला दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति-2021 से जुड़ा हुआ है। उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इस विभाग के भी प्रमुख हैं। इसलिए इस घोटाले के लिए उन्हें जिम्मेदार माना गया है। हालाँकि, बाद में दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को वापस ले हुए पुरानी व्यवस्था को फिर से लागू कर दिया है।
क्या है दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति
नई आबकारी नीति 2021-22 दिल्ली सरकार ने शराब पीने की उम्र 25 साल से घटाकर 21 कर दी थी। इसके साथ ही होटलों के बार, क्लब और रेस्टोरेंट को रात 3 बजे तक खुला रखने की छूट दी गई थी। इसके तहत वे अपनी छतों समेत किसी भी जगह शराब परोस सकते थे।
पुरानी आबकारी नीति में खुले में शराब परोसने पर रोक थी। नई नीति में बार में मनोरंजन का इंतजाम करने की भी छूट दी गई थी। इसके अलावा, बार काउंटर पर खुल चुकी शराब की बोतल की शेल्फ लाइफ पर से भी पाबंदी हटा ली गई थी।
दिल्ली सरकार का तर्क
नई आबकारी नीति 2021-22 नीति को लेकर दिल्ली सरकार ने दावा किया था कि इसका मकसद भ्रष्टाचार को कम करना और शराब व्यापार में प्रतिस्पर्धा का अवसर मुहैया कराना है। दिल्ली सरकार ने यह भी कहा था कि इससे दिल्ली में शराब माफिया और कालाबाजारी समाप्त होगी।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने दावा किया था कि नई आबकारी नीति से राज्य सरकार का राजस्व बढ़ेगा और इसका इस्तेमाल वह विकास के अन्य कामों में करेगी। इसके साथ ही शराब खरीदने वालों की वह शिकायत भी दूर होगी कि उनके इलाके में शराब की दुकानें दूर है। दिल्ली सरकार ने दावा किया था कि हर वार्ड में शराब की दुकानें एक समान होंगी।
भाजपा सहित विपक्षी दलों ने उठाई थी आपत्ति
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति पर भाजपा (BJP) सहित विपक्षी दलों ने आपत्ति उठाई थी। भाजपा का कहना था कि दिल्ली सरकार शराब पीने की उम्र घटाकर लोगों को शराबी बना रही है।
विपक्षी दलों का आरोप है कि नई आबकारी नीति के जरिए केजरीवाल सरकार ने भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगया। उन्होंने कहा कि शराब की थोक कीमतों के बारे में तो पता है, लेकिन उन्हें किस कीमत पर बेचना है, इसको लेकर स्पष्टता नहीं है।
दिल्ली सरकार पर आरोप
दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर आरोप लगा कि कैबिनेट को भरोसे में इसे जल्दबाजी में लागू किया गया। इतना ही नहीं, इसके लिए तमाम नियमों और प्रक्रियाओं की भी अनदेखी की गई। यह भी आरोप लगा कि एक्साइज विभाग मनमाने तरीके से काम कर रहा है।
यहाँ तक कि कैबिनेट से यह भी पास करवा लिया गया कि अगर नीति को लागू करने के दौरान कुछ बदलाव करने की जरूरत होती है तो आबकारी मंत्री ही वो बदलाव कर सकेंगे। जब तत्कालीन उप-राज्यपाल ने इस पर आपत्ति उठाई तो 21 मई की कैबिनेट बैठक में इस निर्णय को वापस ले लिया गया।
मुख्य सचिव ने LG को दी रिपोर्ट
नई आबकारी नीति के संबंध में दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव ने उप-राज्यपाल को एक रिपोर्ट भेजी। इस रिपोर्ट में कहा गया कि नई नीति को लागू करने में जीएनसीटी एक्ट-1991, ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का उल्लंघन किया गया है।
अपनी रिपोर्ट में मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि टेंडर जारी होने के बाद 2021-22 में लाइसेंस हासिल करने वालों को कई तरह से लाभ पहुँचाए गए। इसके लिए जान-बूझकर प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शराब उत्पादन, थोक और खुदरा बिक्री से जुड़ा काम एक ही व्यक्ति की कंपनियों को दी गई, जो आबकारी नियमों का उल्लंघन है।
लाइसेंस पाने वाले लोगों को लाभ पहुँचाने के कारण दिल्ली सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया कि शराब विक्रेताओं की 144.36 करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस माफ किया गया। इसके अलावा, तमाम तरह की अनियमितताओं का भी जिक्र किया गया।
उप-राज्यपाल ने CBI जाँच की सिफारिश की
दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से मिली रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली के उप-राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना (LG VK Saxena) ने दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति की सीबीआई जाँच की सिफारिश कर दी। उप-राज्यपाल ने यह सिफारिश 22 जुलाई 2022 को ही की थी।
उप-राज्यपाल ने CBI जाँच की सिफारिश में दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति में नियमों और प्रक्रियाओं के उल्लंघन को आधार बनाया। इसके लिए उप-राज्यपाल ने मुख्य सचिव द्वारा दी गई रिपोर्ट को इसमें शामिल किया और इसकी एक कॉपी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी दी।
मनीष सिसोदिया और अन्य लोगों के ठिकानों पर छापे
CBI ने दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर और आवास पर शुक्रवार (19 अगस्त 2022) को छापेमारी की। 14 घंटे तक चली इस छापेमारी में CBI ने घर का एक-एक कोना छान मारा। यहाँ तक कि सिसोदिया के कार की भी तलाशी ली गई।
इसके साथ ही सीबीआई ने सिसोदिया के मोबाइल और लैपटॉप को जब्त कर लिया। मीडिया रिपोर्ट में यह भी खबरें आईं कि उनके घर पर आबकारी विभाग के कुछ ऐसे दस्तावेज बरामद किए गए, जो उनके या किसी अधिकारी के घर पर नहीं होने चाहिए थे।
सीबीआई ने यह रेड देश के 7 राज्यों के 21 ठिकानों पर एक साथ की। जिन अन्य लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की गई उनमें दो पूर्व आबकारी अधिकारी भी हैं। ये दोनों ने IAS हैं और दिल्ली सरकार में आबकारी अधिकारी रह चुके हैं।
CBI की FIR में मनीष सिसोदिया पर आरोप
CBI ने इस मामले में एक FIR दर्ज की है। इस एफआईआर में 15 लोगों के नाम हैं। इनमें पहला नाम मनीष सिसोदिया का ही है। उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, 9 कारोबारी, 3 आबकारी अधिकारी और दो कंपनियाँ हैं।
सीबीआई ने अपनी FIR में कहा है कि एक शराब कारोबारी ने मनीष सिसोदिया के एक सहयोगी द्वारा संचालित कंपनी को एक करोड़ रुपए का भुगतान किया था। सीबीआई ने अपनी एफआईआर में आपराधिक साजिश रचने और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों से संबंधित धाराओं में आरोपित बनाया है।