पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद भड़की हिंसा में जिनलोगों की जान गई थी, उनमें बीजेपी कार्यकर्ता अभिजीत सरकार भी थे। हिंसा से जुड़े मामलों की जाँच अपने हाथ में लेने के बाद सीबीआई ने सरकार के कोलकाता स्थित घर का दौरा किया है। इससे पहले जाँच एजेंसी ने बंगाल हिंसा को लेकर नौ मामले दर्ज किए थे।
रिपोर्टों के अनुसार CBI के संयुक्त निदेशक अनुराग के नेतृत्व में एजेंसी के अधिकारियों की एक टीम ने गुरुवार (अगस्त 26, 2021) को अभिजीत सरकार के घर जाकर उनके परिजनों से बात की। इससे पहले बुधवार को अभिजीत सरकार के भाई विश्वजीत सीबीआई ऑफिस गए थे और जाँच में हिस्सा लिया था।
विश्वजीत ने इंडिया टुडे टीवी को बताया, “मैंने अपने पास मौजूद सभी सबूत जमा कर दिए हैं। बुधवार को मैं सीबीआई कार्यालय गया था, गुरुवार को टीम घर आई। मैंने 2 मई की पूरी घटना सुनाई जब मेरे भाई को टीएमसी के गुंडों ने मार डाला और पुलिस वहाँ खड़ी थी।” उन्होंने दावा किया कि इस मामले में टीएमसी के कई नेता शामिल हैं। साथ ही उनका यह भी कहना है कि कुछ पुलिस अधिकारियों ने उनके भाई की हत्या को लेकर सबूत नष्ट करने की भी कोशिश की थी।
विश्वजीत ने बताया, “जब मेरा भाई मर रहा था, तब नारकेलडांगा पुलिस स्टेशन के कुछ अधिकारी वहाँ खड़े थे। वे टीएमसी के प्रभावशाली नेताओं के साथ हैं। मैंने इसमें विधायक परेश पाल की भूमिका का जिक्र किया है। सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई है।”
इससे पहले अगस्त में कलकत्ता हाई कोर्ट ने पुलिस को अभिजीत सरकार की दूसरी ऑटोप्सी रिपोर्ट और डीएनए रिपोर्ट सीबीआई (CBI) को सौंपने का आदेश दिया था। विश्वजीत ने बताया कि उनका अगला लक्ष्य मुर्दाघर में पड़े अभिजीत के शव का डीएनए रिपोर्ट हासिल करना है। उन्होंने कहा कहा, “अगर डीएनए मैच होता है, तो हम शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाएँगे। लेकिन हमें डर है कि अगर यह डीएनए से मेल नहीं खाता है तो क्या होगा? सवाल यह होगा कि मेरे भाई का शव कहाँ है?”
बता दें कि एजेंसी ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की घटनाओं के संबंध में नौ मामले दर्ज किए हैं। एजेंसी ने जाँच के लिए बंगाल के बाहर के अधिकारियों को नियुक्त किया है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हाल में जाँच के आदेश दिए थे। कलकत्ता हाई कोर्ट की पाँच सदस्यीय पीठ ने इस साल की शुरुआत में पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनावों के बाद हुई हिंसा के दौरान कथित दुष्कर्म और हत्या के मामलों की जाँच सीबीआई को सौंपी है। हाई कोर्ट ने दो मई को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राज्य में हिंसा पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक समिति द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद ये निर्देश दिए।
विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के कुछ समय बाद ही दो मई को कथित तौर पर तृणमूल कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सरकार की गला दबाकर हत्या कर दी थी। पश्चिम बंगाल में चुनावी नतीजे आने के कुछ घंटे बाद राज्य के कई इलाकों में राजनीतिक हिंसा भड़की थी। इस हिंसा में खासकर बीजेपी समर्थक निशाने पर थे।
अभिजीत सरकार की दो मई को उनके घर से बाहर घसीट कर हत्या कर दी गई थी। हमले से ठीक पहले वे दो बार फेसबुक पर लाइव हुए थे और टीएमसी गुंडों के हमले को लेकर बताया था। अभिजीत सरकार ने फेसबुक लाइव के माध्यम से अपनी बात रखी थी। उन्हें पता भी नहीं था कि फेसबुक पर लाइव कैसे आते हैं, लेकिन उन्होंने किसी तरह वीडियो बनाया और बताया कि TMC के गुंडे लगातार बमबारी कर रहे हैं और उन्होंने उनके घर और दफ्तर को तहस-नहस कर डाला।
मई में अभिजीत सरकार की पत्नी तो उनकी हत्या की चश्मदीद भी हैं ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था, “भीड़ ने उनके गले में सीसीटीवी कैमरे का तार बाँध दिया। गला दबाया। ईंट और डंडों से पीटा। सिर फाड़ दिया और माँ के सामने उनकी बेरहमी से हत्या कर दी। आँखों के सामने बेटे की हत्या होते देख उनकी माँ बेहोश होकर मौके पर ही गिर गईं।”