अफगानिस्तान के काबुल स्थित हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के अंदर गुरुवार (26 अगस्त 2021) को हुए बम विस्फोटों में 13 अमेरिकी सैनिकों सहित 100 से अधिक लोग मारे गए। इस हमले के कारण काबुल से लोगों को निकालने का अभियान भी प्रभावित हुआ। अमेरिकी अधिकारियों ने इसके लिए इस्लामिक स्टेट के क्षेत्रीय सहयोगी इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (ISKP) को इस हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
#BREAKING: ISIS claims responsibility for Kabul suicide bombings today which killed 12 US soldiers and more than 60 civilians. Abdul Rehman Al-Loghri of ISKP was allegedly the suicide bomber. ISIS may shortly release a claim video as well. pic.twitter.com/ULTQDzTEpU
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) August 26, 2021
आतंकी संगठन ISKP ने काबुल हवाई अड्डे पर बमबारी की भी ज़िम्मेदारी ले ली है और उस आतंकवादी की तस्वीरें जारी की हैं, जिसने काबुल हवाई अड्डे के अंदर खुद को उड़ा लिया था। आईएसकेपी का अब्दुल रहमान अल-लोहरी कथित तौर पर आत्मघाती हमलावर था।
इस्लामिक स्टेट खुरासान (ISKP) क्या है?
ISIS-K या इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (ISKP) – ISIS या इस्लामिक स्टेट का क्षेत्रीय सहयोगी है, जिसकी स्थापना ईराक और सीरिया में हुई थी। इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत, या ISKP, इस्लामिक स्टेट आतंकी समूह की अफगान शाखा है। यह अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत में सक्रिय है।
साल 2015 में ISKP की स्थापना अफगान तालिबान के असंतुष्ट सदस्यों और उसके पाकिस्तानी समकक्ष TTP को मिलाकर की गई थी। इस खतरनाक इस्लामिक आतंकी संगठन के अधिकतर रंगरूट अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मदरसों से निकलते हैं। ये अफगानिस्तान और पाकिस्तान के दल बदलने वाले सदस्य हैं, जो कि खुद को उदारवादी मानते हैं। आईएसकेपी अफगानिस्तान के सभी जिहादी आतंकवादी समूहों में सबसे अधिक कट्टरपंथी और हिंसक है।
अब यह शहरी मध्यवर्गीय मुस्लिमों को अपने संगठन में भर्ती करके विश्वविद्यालयों को टार्गेट कर रहा है, ताकि युवा मुस्लिमों को आतंकवादी नेटवर्क में शामिल कर सके। कई भारतीय मुस्लिम, खास तौर पर केरल के रहने वाले हाल के दिनों में इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (ISKP) में शामिल होने के लिए अफगानिस्तान गए थे। भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों ने बीते दो सालों में भारत की धरती पर सक्रिय कई ISKP आतंकवादियों का पता लगाने में कामयाबी हासिल की है।
ISKP कथित तौर पर नंगरहार के पूर्वी प्रांत से ऑपरेट किया जाता है। यह जगह रणनीतिक तौर पर अफगानिस्तान और पाकिस्तान में उसके आसपास नशीली दवाओं और मानव तस्करी का मार्ह है।
इस्लामिक स्टेट में सबसे अधिक कट्टर है ISKP
आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट खुरासान (ISKP ) हाल के वर्षों में लड़कियों के स्कूलों, अस्पतालों और एक प्रसूति वार्ड को निशाना बनाकर किए गए आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार है, जहाँ उन्होंने कथित तौर पर गर्भवती महिलाओं और नर्सों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
आईएसकेपी आईएस के वैश्विक नेटवर्क का एक हिस्सा मात्र है और यह तालिबान के विपरीत आईएसकेपी अफगानिस्तान पर नियंत्रण करना चाहता है। यह संगठन वैश्विक स्तर पर ‘जिहाद’ छेड़ने की कोशिश में है और यह पश्चिमी, अंतरराष्ट्रीय और मानवीय टार्गेट पर हमला करता है। बताया जाता है कि अकेले अफगानिस्तान में इसके करीब 2,000-3,000 लड़ाके हैं, लेकिन हाल के वर्षों में इसे काफी नुकसान भी हुआ है।
आईएसकेपी के 9/11 हमले को अंजाम देने वाले अल-कायदा के साथ मजबूत संबंध हैं।
तालिबान के साथ संबंध
ISKP ने हक्कानी नेटवर्क के माध्यम से तालिबान के साथ संबंध स्थापित किए हैं और उसके अल-कायदा के साथ लंबे समय से जुड़े हुए विदेशी इस्लामिक आतंकवादी समूहों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि तालिबान के सहयोगी हक्कानी नेटवर्क और ISKP ने 2019 और 2021 के बीच पाकिस्तान स्थित अन्य आतंकी समूहों के लॉजिस्टिक सपोर्ट से कई बड़े हमलों को अंजाम दिया है।
अफगानिस्तान के काबुल शहर में तालिबान के कब्जे के बाद जिहादी संगठन ने पुल-ए-चरकी जेल से बड़ी संख्या में कैदियों को रिहा कर दिया था, जिनमें कथित तौर पर ISKP और अल-कायदा के आतंकवादी शामिल थे। इससे अब इन आतंकियों की संख्या भी काफी बढ़ गई है।
हालाँकि, ISKP के तालिबान के साथ बड़े मतभेद हैं। आईएसकेपी ने तालिबान पर जिहाद और युद्ध के मैदान को छोड़कर कतर के दोहा में ‘पॉश होटलों’ में अमेरिका के साथ बातचीत के जरिए शांति समझौता करने का आरोप लगाया है।