लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार किसानों के लिए दिल खोल चुकी है। भरोसा है कि गन्ना मूल्य बढ़ाने और पराली के मुकदमे वापस लेने के फैसले किसानों को भारतीय जनता पार्टी से जोड़े रखेंगे, लेकिन खेतों में चुनावी चौपाल सजा रहे विपक्षी दांव से भी भारतीय जनता पार्टी चौकन्नी है। यही वजह है कि किसान मोर्चा के जरिये फिर भरोसे का एक मंच सजाने की तैयारी है। 15 सितंबर को प्रस्तावित किसान सम्मेलन से पार्टी किसानों के समर्थन का बड़ा संदेश देना चाहती है।
भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार के कार्यकाल में सिर्फ कृषि कानून विरोधी आंदोलन ही सिरदर्द बनकर सामने आया। बेशक, आंदोलन का असर दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में रहा, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसकी कुछ ताप की आशंका जरूर रही। इधर, विपक्षी दल ऐसा माहौल बनाने का प्रयास अभी तक कर रहे हैं कि किसान भाजपा सरकार के विरोध में हैं। इसे देखते हुए ही किसान मोर्चा को खास तौर पर सक्रिय किया गया है।
90 विधानसभा क्षेत्रों में किसान संवाद कार्यक्रमों के बाद गत दिवस मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ घोषणा कर चुके हैं कि गन्ना मूल्य बढ़ाया जाएगा, पराली जलाने के मुकदमे वापस होंगे, बकाया बिल के कारण किसानों के बिजली कनेक्शन नहीं काटे जाएंगे और नए पेराई सत्र से गन्ना मूल्य का बकाया भुगतान भी कर दिया जाएगा। यह बड़े फैसले हैं, जो किसानों को काफी राहत देंगे।
इसके बावजूद इस वर्ग को अपने से जोड़े रखने की कोशिश अभी पार्टी और बढ़ाएगी। किसानों से लगातार संपर्क का अभियान चलेगा और प्रदेश भर के किसानों का सम्मेलन आयोजित कर उसके जरिये पार्टी समर्थन का संदेश देना चाहेगी। किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कामेश्वर सिंह ने बताया कि सम्मेलन 15 सितंबर को प्रस्तावित है। अभी स्थान तय नहीं किया गया है।