नई दिल्ली। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत में रह रहे अफगान नागरिकों को स्वदेश लौटने का डर सता रहा है। साथ ही वे भारत में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू होने के बाद उनका क्या होगा, से सोच कर भी घबरा रहे हैं। इसके चलते पिछले एक हफ्ते से 21 हजार से ज्यादा अफगानी रिफ्यूजी दफ्तरों और दूतावासों के चक्कर काट रहे हैं और रिफ्यूजी कार्ड की माँग कर रहे हैं।
इसको लेकर सोमवार (23 अगस्त) को सैकड़ों की संख्या में अफगानियों ने दिल्ली स्थित यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजीस (UNHCR) दफ्तर के सामने प्रदर्शन किया, ताकि उन्हें दूसरे देशों की नागरिकता मिल सके। उन्होंने माँग की है कि सभी शरणार्थियों को रिफ्यूजी कार्ड दिए जाएँ। इसके अलावा उन्होंने किसी विकासशील देश में उन्हें बसाए जाने की योजना लाने की भी माँग की।
30 वर्षीय अबदुल्ला नवरोज, जो पेशे से इंजीनियर हैं, साल 2017 में अफगानिस्तान में अपनी जान को खतरा होने पर वहाँ से भाग कर भारत आ गए थे। उनका कहना है कि अब अफगानिस्तान लौटने की सारी उम्मीदें खत्म हो चुकी हैं। हमारी UNHCR से तीन माँगे हैं। पहला रिफ्यूजी कार्ड जारी करने के जो क्लोज्ड केस हैं, उनको रीओपन किया जाए। दूसरा रिफ्यूजियों को UNHCR का पहचान पत्र दिया जाना चाहिए, तीसरा हमारा थर्ड कंट्री में रीसैटलमेंट किया जाए।
मीडिया रिपोर्ट्स में ह्यूमेनेटेरियन एंड इंटरनेशनल के प्रमुख सुधांशु शेखर का कहना है, ”सभी अफगानी शरणार्थियों को UNHCR कार्ड नहीं मिला है, जिनको यह मिला भी है, उन्हें भी बतौर रिफ्यूजी ज्यादा सुविधाएँ नहीं मिल पाई हैं। कई अफगानी रिफ्यूजियों को नौकरी पाने की इजाजत नहीं है। इसलिए जॉब मॉर्केट में इनका शोषण किया जाता है। महिलाओं को देह व्यापार में आने के लिए दबाव बनाया जाता है।”
मालूम हो कि भारत में CAA लागू होने पर हिंदुओं को भारतीय नागरिकता आसानी से मिल जाएगी, लेकिन मुस्लिम रिफ्यूजियों के लिए इससे संकट पैदा हो जाएगा। हालाँकि, ज्यादातर रिफ्यूजी चाहते हैं कि UNHCR द्वारा उनका थर्ड कंट्री सैटलमेंट कराए जाए। बताया जा रहा है कि यूरोप के अलावा दुनिया के कई बड़े देशों ने अपने यहाँ अफगानी रिफ्यूजियों को शरण देने से इनकार कर दिया है। ऐसे में इन अफगानियों का थर्ड कंट्री सैटलमेंट होना एक बड़ी चुनौती है।
बता दें कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद कई अफगान नागरिकों को अपनी जान का खतरा है और वो मुल्क छोड़ कर भाग रहे हैं। ऐसी स्थिति में भारत सरकार यहाँ आने की इच्छा रखने वालों को आपात स्थिति के तहत वीजा दे सकती है, जो पहले 6 महीने के लिए वैध रहेगा। ऑनलाइन याचिकाओं पर नई दिल्ली में विचार किया जाएगा। हालाँकि, भारत ने यूएन रिफ्यूजी कन्वेंशन पर हस्ताक्षर नहीं किए थे।