लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में 21 फरवरी 1998 की तारीख कोई नहीं भूल सकता है. इस दिन यूपी को अपना सिर्फ एक दिन वाला सीएम मिला था. नाम था- जगदंबिका पाल और जिन्हें रातोरात सीएम पद से हटा दिया गया था वो थे कल्याण सिंह. 89 साल की उम्र में दुनिया छोड़ चले गए कल्याण सिंह के राजनीतिक सफर का ये सबसे नाटकीय किस्सा है. बीजेपी तो इसे लोकतंत्र में काले दिन के तौर पर देखती है. तो आखिर क्या है ये घटना जिस वजह से रातोरात कल्याण सिंह को बर्खास्त कर दिया गया था और जगदंबिका पाल को मुख्यमंत्री बना दिया गया?
ये किस्सा 21 फरवरी 1998 का है. तब यूपी के राज्यपाल रोमेश भंडारी हुआ करते थे. उन्होंने उस समय सभी को हैरत में डाल दिया जब तब के सीएम कल्याण सिंह को पद से ही बर्खास्त कर दिया गया. उनकी जगह कांग्रेस नेता जगदंबिका पाल को सीएम पद की शपथ दिलवा दी गई. ऐसा कहा जाता है कि जगदंबिका पाल ने तमाम विपक्षी पार्टियों से मदद मांगी थी. कई दिग्गज नेताओं से बात की थी. उनकी पूरी कोशिश थी कि किसी तरह से कल्याण सिंह को सीएम पद से हटाया जा सके.
कैसे बची सीएम कल्याण की कुर्सी?
फिर कल्याण सिंह की सरकार को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली. कोर्ट ने राज्यपाल के उस विवादित फैसले को ही खारिज कर दिया और जोर देकर कहा कि राज्य के सीएम कल्याण सिंह ही रहेंगे. कोर्ट से मिली राहत के बाद कल्याण सिंह तुरंत सचिवालय गए जहां पर उन्हें सीएम की कुर्सी पर जगदंबिका पाल बैठे दिखे. तब काफी मुश्किल से जगदंबिका पाल को समझाया गया और कल्याण सिंह को उनकी सीएम कुर्सी वापस मिली.
लेकिन ना ये विवाद वहां थमा था और ना ही कल्याण सिंह की मुश्किलें. कोर्ट से जरूर राहत मिली लेकिन 26 फरवरी को कल्याण सिंह को बहुमत साबित करना था. अगर पर्याप्त विधायक नहीं होते तो उनकी सरकार अभी भी गिर सकती थी. लेकिन तब कल्याण सिंह को पूरा भरोसा था कि वे अपनी सरकार को बचा ले जाएंगे. अब जैसी उम्मीद रही, सदन में वैसा हुआ भी. कल्याण सिंह को कुल 215 मत हासिल हुए, वहीं उनके विरोधी जगदंबिका पाल के खाते में 196 वोट पड़े. तो इस तरह से कल्याण सिंह ने बहुमत भी साबित कर दिया और उन्होंने अपनी सरकार भी बचा ली.