अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद जहां अधिकतर देश काबुल में अपने दूतावासों को बंद करके अपने नागरिकों को निकालने में जुटे हैं, वहीं चीन ने विद्रोही संगठन से दोस्ती का ऐलान किया है। चीन ने सोमवार को कहा कि वह तालिबान के साथ दोस्ताना रिश्ता विकसित करना चाहता है। एक दिन पहले ही इस्लामिक कट्टरपंथी समूह ने काबुल पर को अपने नियंत्रण में लिया है। इससे पहले रूस और पाकिस्तान भी तालिबान सरकार को मान्यता देने की बात कह चुके हैं।
रूस भी दे सकता है मान्यता
रूस ने काबुल में अपने दूतावास को खाली करने की किसी योजना से इनकार करके यह साफ कर दिया है कि तालिबान सरकार को मान्यता दी जा सकती है। विदेश मंत्रालय के अधिकारी ज़मीर काबुलोव ने सोमवार को कहा कि उनके राजदूत तालिबान नेतृत्व के संपर्क में हैं। काबुलोव ने यह भी कहा कि यदि तालिबान का आचरण ठीक रहता है तो इसके शासन को मान्यता दी जा सकती है। अफगानिस्तान में रूस के राजदूत दिमित्री झिरनोव की दूतावास की सुरक्षा को लेकर तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर सकते हैं।