टोक्यो ओलंपिक में भारत ने इतिहास रचते हुए सात मेडल अपने नाम किए. उन्हीं सितारों में से एक रवि दहिया हैं, जिन्होंने कुश्ती में भारत को सिल्वर मेडल दिलवाया. एक कार्यक्रम में रवि दहिया ने अपने ओलंपिक सफर के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने उस विवाद पर भी बात की, जिसको लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हुई.
कजाखस्तान के पहलवान ने काटा, दहिया का जवाब
दरअसल, सेमीफाइनल मुकाबले में कजाखस्तान के नूरइस्लाम सानायेव ने मैच के दौरान रवि दहिया को काटा था. मैच को बचाने के लिए और खुद को दहिया के चंगुल से छुड़ाने के लिए नूरइस्लाम ने ये हरकत की थी. इसे लेकर देश में काफी गुस्सा रहा और सभी ने इसे शर्मनाक बताया. लेकिन अब जब यही सवाल रवि दहिया से पूछा गया तो उन्होंने इसे खेल भावना से जोड़ा. रवि ने कहा कि मैंने रेफरी को बताया था इस बारे में, लेकिन विरोध करने का कोई फायदा नहीं. वो भी अपने देश के लिए खेल रहा था और मैं अपने देश के लिए. सब कुछ खेल भावना है. कोई बड़ी बात नहीं है. दोस्त है वो मेरा. अगले दिन उसने माफी भी मांगी थी. इसलिए इस पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं.
‘फोकस हमेशा गोल्ड पर’
रवि ने जोर देकर कहा कि मैट पर उतरने के बाद कोई बड़ा या छोटा पहलवान नहीं होता है. उस समय बस कुश्ती पर फोकस होता है. उनकी नजरों में अगली बार वे फिर गोल्ड पर फोकस करेंगे और पूरी कोशिश रहेगी कि सिल्वर को स्वर्ण में बदला जाए. रवि के कोच भी यहीं मानते हैं कि फोकस हमेशा गोल्ड पर ही रहना चाहिए. उन्होंने बताया कि सुशील कुमार को भी ओलंपिक में जाने से पहले यही मंत्र दिया गया था और रवि को भी इसी पर ध्यान देने के लिए कहा गया.
रवि दहिया गोल्ड तो नहीं ला पाए, लेकिन एक गोल्ड की तरह लड़े जरूर. उनके गुरु सतपाल सिंह मानते हैं कि अगर रेफरी फाइनल में कुछ गलतियां नहीं करता तो ये मैच रवि के नाम रह सकता था. अगर ऐसा होता तो भारत के नाम एक नहीं दो गोल्ड मेडल रहते.