टोक्यो ओलंपिक में पुरुष हॉकी टीम ने इतिहास रच दिया है. ओलंपिक में मेडल का 4 दशक का सूखा खत्म करने वाली टीम इंडिया पर पूरे देश को नाज है. भारत ने कांस्य पदक के मुकाबले में जर्मनी को 5-4 से हराकर मात दे दी. मैच में एक वक्त 3-1 से पिछड़ रहे भारतीय शेरों ने जिस तरह से दहाड़ मारकर बाजी पलट दी, वह इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुकी है. पूरे देश से टीम इंडिया को बधाइयां मिल रही हैं. परिवार में जश्न का माहौल है. लोग मिठाइयां बांट रहे हैं, ढोल बजाकर खुशी का इजहार कर रहे हैं.
वहीं हॉकी खिलाड़ी सुरेंदर कुमार की मां भी टीम की कामयाबी पर बेहद खुश नजर आईं. उन्होंने कहा कि इतनी खुशी तो अपनी शादी में भी नहीं हुई. उन्होंने कहा कि बेटा जब घर आएगा तो खूब धूमधाम से स्वागत करेंगे. मां ने यह भी बताया कि कैसे बचपन में सुरेंदर ने हॉकी स्टिक थाम ली और सफलता की सीढ़ियां चढ़ते चले गए.
सोनीपत के गांव कुराड़ का रहने वाला सुमित भी हॉकी टीम में टोक्यो ओलंपिक में खेल रहा था और सुमित के घर पर भी जश्न का माहौल है. पिता ने मेहनत मजदूरी कर बेटे को हॉकी प्लेयर बनाया. सुमित के घर बधाई देने के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है. सुमित तीन भाई हैं. सुमित परिवार में सबसे छोटा है. परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं. सुमित ओलंपिक में जाने से पहले अपनी मां के नाम का लॉकेट गले में पहन कर घर से गया था और कहा था मां के इस लॉकेट को मेडल में बदल कर ही वापस देश लौटूंगा और वही आज भारतीय टीम ने कर दिखाया है