नई दिल्ली। देश की राजधानी में कोरोना काल के बीच अय्याशी का काला खेल चल रहा है. आजतक ने अपने खुफिया कैमरे में जो तस्वीरें कैद की हैं वो आपको हैरान कर देंगी. संसद से महज 500 मीटर की दूरी पर अय्याशी का अड्डा चल रहा है. इसे ना कोई रोकने वाला है और ना ही कोई एक्शन लेने वाला.
वैसे तो मुंबई की बार बालाओं के बारे में तो आपने बहुत देखा-सुना होगा, लेकिन 24 जुलाई को पंचकुइयां रोड और पहाड़गंज में अय्याशी के बार धड़ल्ले से चल रहे थे. तेज आवाज से भरे हाल में बार बालाएं अपने हुस्न की नुमाइश कर रही थी. हर ठुमके पर नोट हवा में उछाले जा रहे थे. हुक्कों की गुड़गुड़ के साथ अय्याशजादे अपने चरम पर नजर आ रहे थे. मसलन शनिवार का दिन वीकेंड होने की वजह से महफिल अपने शबाब पर थी.
वहीं, यहां चल रहे पूरे खेल को आजतक की टीम ने अपने खुफिया कैमरे में कैद किया और ये समझने की कोशिश की कि आखिर कैसे मॉनसून सत्र के दौरान संसद से 10 मिनट की दूरी पर ये अय्याशी का पूरा खेल चल रहा है. प्रशासन की नाक के नीचे ये शोर किसी को सुनाई क्यों नहीं दे रहा था? कहां था कोरोना का प्रोटोकॉल? कहां से आईं दिल्ली में बार बालाएं?
बाउंसर से हुई पहली मुलाकात
सबसे पहले टीम की मुलाकात बार के बाउंसर से हुई. वहां तैनात बाउंसर से पूछा गया कि इसका कोई नाम नहीं है क्या? इस पर बाउंसर ने कहा इसका नाम मुंबई ड्रीम्स था, जो चेंज हो रहा है इसलिए इसका बोर्ड हटा रखा है. इस हॉल के अंदर तीन बार चलते हैं. तीनों में बार-बालाओं की नाच होती है.
इसके बाद टीम अंदर पहुंची तो देखा कि नशे में एक दूसरे पर लोग लदे हुए थे. ना मास्क, ना सोशल डिस्टेंसिंग और ना ही कानून का डर. पूरा खेल मालिक ने सेट कर रखा था. हमारे खुफिया कैमरे में उसने बताया कि टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं हैं. ना वीडियो बाहर जाएगा और ना ही प्रशासन से कोई आएगा, बेफिक्र होकर बस मजे करिए…
कानून के नाम पर खानापूर्ति
इसके बाद टीम बाहर आई तो कुछ पुलिस वाले नजर आए. टीम ने जब उनकी उनकी कहानी समझने की कोशिश की तो पता चला कि कानून के नाम पर खानापूर्ति हो रही है. पूरे साल का पैसा बंधा हुआ है. कस्टमर को डरने की जरूरत नहीं क्योंकि अगर कस्टमर डर जाएगा को फिर दोबारा नहीं आएगा.
क्यों खड़े होते हैं सवाल?
संसद से महज 500 मीटर की दूरी पर अय्याशी का अड्डा चल रहा है और पुलिस को भनक तक नहीं है. कोरोना महामारी के बीच धंधा चल रहा है और चंद पैसों के लिए लोगों की जान जोखिम में डाली जा रही है. ऐसे में अब सवाल खड़ा होता है कि आखिर कौन जिम्मेदार है?