नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के सबसे बड़े 25 हजार करोड़ के रोशनी भूमि घोटाले के समाने आ के बाद हड़कंप मच गया है। फारुख अब्दुल्ला समेत कश्मीर के तमाम बड़े नेताओं के चेहरों से नकाब उतर गया है। हाई कोर्ट के आदेश में उन नेताओं की पहली सूची सार्वजनिक हुई है, जिन्होंने सरकार की संपत्ति को अपनी और परिवार की संपत्ति में बदल दिया था। जांच में पीडीपी सरकार में वित्त मंत्री रहे डा. हसीब द्राबू समेत कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के पूर्व मंत्रियों, नौकरशाहों, व्यापारियों और इनके रिश्तेदार भी शामिल हैं। इन्होंने गरीबों के घर रोशन करने के नाम पर बनाए गए कानून की आड़ लेकर करोड़ों की सरकारी जमीन हड़प ली। बताया जाता है कि हजारों करोड़ के इस घोटाले में शामिल लोगों की अभी तीन से चार और सूची आएंगी। इस घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है।
सीबीआई की जांच के बाद सार्वजनिक हुई पहली सूची में रोशनी भूमि एक्ट की आड़ में सरकारी जमीन कब्जाने वालों में पीडीपी नेता रहे हसीब द्राबू और उनके परिजनों का नाम है। पूर्व गृहमंत्री सज्जाद किचलू, पूर्व मंत्री अब्दुल मजीद वानी, असलम गोनी, नेशनल कांफ्रेंस के नेता व पूर्व मंत्री सईद आखून और जेके बैंक के पूर्व चेयरमैन एमवाई खान नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं।
करोड़ों की जमीन कब्जा कर फारुख अब्दुल्ला ने बनाया घर
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला पर आरोप है कि जम्मू के सजवान में उनका जो घर है वो जंगल की जमीन पर बना है। फारूक अब्दुल्ला का ये घर 10 कनाल जमीन में बना है, इसमें से 7 कनाल जंगल की जमीन है, जबकि 3 कनाल जमीन उनकी अपनी है। उन पर आरोप है कि यह जमीन रोशनी एक्ट के तहत गलत तरीके से ली गई है। कब्जाई गई जमीन का बाजार भाव 10 करोड़ रुपये आंका गया है। जम्मू में नेशनल कॉन्फ्रेस का दफ्तर शेर-ए-कश्मीर भवन को रोशनी एक्ट के तहत 3 कनाल 16 मरला सरकारी जमीन पर बना है, जबकि श्री नगर में नेशनल कॉन्फ्रेंस का दफ्तर भी 3 कनाल 16 मरला सरकारी जमीन कब्जा कर बनाया गया है।
कांग्रेस, एनसी, पीडीपी नेताओं और उनके चहेतों ने की जमीन की बंदरबांट
बाताया गया है कि पीडीपी नेता रहे हसीब द्राबू के नाम एक कनाल जमीन हस्तांतरित की गई। यही नहीं उन्होंने मां शहजादा बानो, भाइयों एजाज हुसैन द्राबू और इफ्तिखार अहमद द्राबू के नाम भी एक-एक कनाल भूमि आवंटित करवाई थी। कश्मीर के प्रसिद्ध व्यवसायी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केके आमला के नाम पर 11 कनाल से अधिक सरकारी भूमि निकली। कश्मीर के प्रमुख होटल व्यवसायी मुश्ताक अहमद चाया ने 10 कनाल 4 मरले भूमि अपने नाम की।
पूर्व आइएएस अधिकारी मोहम्मद शफी पंडित ने एक कनाल दो मरले अपने नाम व एक कनाल भूमि पत्नी दिगत पंडित के नाम करवाई थी। कश्मीर के सईद मुजफ्फर आगा ने दो कनाल एक मरला भूमि एक्ट के तहत अपने नाम करवाई। पूर्व नेकां नेता सईद आखून, पूर्व कांग्रेस नेता अब्दुल मजिद वानी पूर्व एडवोकेट जनरल व नेकां के पूर्व नेता असलम गोनी, पूर्व नेकां नेता अरुण चौधरी ने एक से तीन कनाल तक भूमि अपने और परिवार के नाम कर ली। नेकां के पूर्व मंत्री सज्जाद किचलू व तनवीर किचलू ने 20 कनाल सरकारी भूमि नाम करवाई।
जानिए क्या है रोशनी एक्ट भूमि घोटाला
गरीबों के घरों को रोशन करने के नाम पर नेशनल कांफ्रेंस सरकार ने जम्मू और कश्मीर भूमि एक्ट 2001 लागू किया। तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला ने वर्ष 1990 से हुए अतिक्रमण को इस एक्ट के दायरे में लाकर नियमित करने का फैसला किया। सरकार का कहना था कि इसका फायदा सीधा उन किसानों को मिलेगा जो सरकारी भूमि पर कई वर्षों से खेतीबाड़ी करते थे। इससे होने वाली आमदनी से जम्मू-कश्मीर में बिजली पैदा कर गरीबों के घर रोशन किए जाने थे। मगर एक्ट का फायदा उठाकर राजनेताओं, नौकरशाहों और व्यवसायियों ने सरकारी और वन भूमि की बंदरबांट की। वर्ष 2005 में मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व वाली पीडीपी सरकार ने योजना का दायरा 2004 तक हुए कब्जों तक सीमित कर दिया। वहीं, गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इसे वर्ष 2007 तक सीमित किया। योजना के तहत सरकारी जमीन को नियमित करने के लिए कई नए अतिक्रमण हुए।