लखनऊ। उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल (यूपीएसएसएफ) का गठन सूबे की कानून-व्यवस्था के लिहाज से बड़ा कदम है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हरी झंडी मिलने के बाद यूपीएसएसएफ एक्ट बनाने की तैयारी जोरों पर है। माना जा रहा है कि अगले हफ्ते कैबिनेट बैठक में यूपीएसएसएफ के गठन से लेकर क्रियान्वयन तक के लिए अलग अधिनियम को मंजूरी मिल जाएगी।
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की तर्ज पर गठित हो रहा उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल (यूपीएसएसएफ) उससे भी एक कदम आगे होगा। कोर्ट, प्रमुख धार्मक स्थलों व प्रतिष्ठानों की सुरक्षा-व्यवस्था के अलावा यूपीएसएसएफ के हवाले वीवीआईपी सुरक्षा की ड्यूटी भी होगी। इसके वजूद में आने के साथ ही पुलिसकर्मियों को सुरक्षा से जुड़ी कई ड्यूटियों से आजादी भी मिलेगी और थानों की पुलिस कानून-व्यवस्था पर अपना पूरा फोकस कर सकेगी। यूपीएसएसएफ अलग एक्ट के तहत काम करेगी। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यह डीजीपी के अधीन ही होगी, लेकिन यूपीएसएसएफ के अलग एडीजी होंगे। यूपीएसएसएफ के जवानों के लिए सिविल पुलिस में ट्रांसफर की व्यवस्था नहीं होगी। यानी यह बल सिविल पुलिस से पूरी तरह अलग होगा। यही वजह है कि इसके जवानों के प्रशिक्षण को लेकर भी कसरत तेज हो गई है।
अब कोर्ट, मेट्रो, एयरपोर्ट, औद्योगिक प्रतिष्ठानों, प्रमुख धार्मिक स्थलों व बैंकों की सुरक्षा के लिए यूपीएसएसएफ के गठन का रास्ता साफ होने से बड़ी उम्मीदें जागी हैं। औद्योगिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिहाज से भी यह बड़ा कदम है। लखनऊ में इसके मुख्यालय के साथ पांच बटालियन गठित की जानी हैं। एक बटालियन में करीब 1100 कर्मी होंगे। इस हिसाब से आने वाले समय में करीब छह हजार पुलिसकर्मी विभिन्न सुरक्षा ड्यूटियों से मुक्त होंगे। डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी का कहना है कि यूपीएसएसएफ के गठन से प्रमुख प्रतिष्ठानों व धाॢमक स्थलों की सुरक्षा और व्यावसायिक ढंग से की जा सकेगी।