नई दिल्ली। मानसून की देशव्यापी सक्रियता से हो रही बारिश ने खरीफ सीजन की फसलों की बोआई की रफ्तार को बढ़ा दिया है। यही वजह है कि बोआई का रकबा पिछले सालों के मुकाबले जून के आखिरी सप्ताह में ही पिछले साल के मुकाबले दोगुना हो चुका है। इससे खरीफ फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होनी तय है। रबी सीजन की बंपर पैदावार के बाद खरीफ खेती भी शानदार हो सकती है। चालू सीजन में दक्षिण-पश्चिम मानसून पूरे देश में अपने निर्धारित समय से 12 दिन पहले ही सक्रिय हो चुका है। मानसून की बारिश होने के साथ ही किसानों ने खरीफ सीजन वाली फसलों की बोआई तेज कर दी है।
कृषि मंत्रालय के जारी बोआई आंकड़े के मुताबिक पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले चालू सीजन में बोआई का रकबा 3.16 करोड़ हेक्टेयर हो चुका है, जो पिछले साल के मुकाबले दोगुना से भी ज्यादा है। मंत्रालय के जारी आंकड़ों के मुताबिक तिलहनी व दलहनी फसलों की बोआई की रफ्तार बहुत तेज है। तिलहनी फसलों का रकबा 83.31 लाख हेक्टेयर पहुंच गई है, जो पिछले साल की इसी अवधि में 13.32 लाख हेक्टेयर के मुकाबले छह गुना से भी ज्यादा है। जबकि दलहनी फसलों का रकबा 19.40 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले साल की बोआई रकबा 6.03 लाख हेक्टेयर के मुकाबले तीन गुना से भी अधिक है।
दलहनी फसलों में अरहर का बोआई रकबा पांच गुना तक बढ़कर 9.87 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है, जो पिछले साल अब तक 1.83 लाख हेक्टेयर था। दलहनी फसलों की सर्वाधिक खेती महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के असिंचित क्षेत्रों में की गई है। मोटे अनाज वाली फसलों की खेती दोगुना हो चुकी है। पिछले साल अब तक जहां 24.48 लाख हेक्टेयर में खेती की गई थी, वह इस बार बढ़कर 47.96 लाख हेक्टेयर पहुंच गई है। मक्का, ज्वार व बाजरा खेती में अच्छी वृद्धि हुई है।
खरीफ सीजन की प्रमुख व सबसे बड़ी फसल धान की नर्सरी ज्यादातर राज्यों में तैयार है। मानसून की अच्छी बारिश के मद्देनजर धान की रोपाई का सिलसिला चल निकला है। पिछले साल अब तक जहां 27.93 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई हुई थी, वह इस बार बढ़कर 37.71 लाख हेक्टेयर पहुंच गई है। अगले सप्ताह तक धान की रोपाई की रफ्तार और तेज हो सकती है।