लखनऊ। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भारत-चीन सीमा तनाव मामले में केंद्र की मोदी सरकार पर पूर्ण आस्था जताई है। बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो ने कहा कि अभी हाल ही में 15 जून को लद्दाख में चीनी सेना के साथ हुए संघर्ष में कर्नल सहित 20 सैनिकों की मौत से पूरा देश काफी दुखी, चिन्तित व आक्रोशित है।
उन्होंने इसके निदान हेतु सरकार व विपक्ष दोनों को पूरी परिपक्वता व एकजुटता के साथ काम करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि काम ऐसा हो जो देश-दुनिया को दिखे व प्रभावी सिद्ध हो।
मायावती द्वारा विपक्ष को परिपक्वता से काम करने की सलाह देने के कई मायने निकाले जा रहे हैं। उन्होंने ये भी कहा कि ऐसे कठिन व चुनौती भरे समय में भारत सरकार की अगली कार्रवाई के सम्बन्ध में लोगों व विशषज्ञों की राय अलग-अलग हो सकती है, लेकिन मूल रूप से यह केंद्र सरकार पर ही छोड़ देना बेहतर है कि वह देशहित व सीमा की रक्षा हर हाल में करे, जो कि हर सरकार का दायित्व भी है।
इससे पहले भी मायवती ने गलवान घाटी संघर्ष में वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा था कि देश की आन, बान व शान के लिए चीनी सेना के साथ संघर्ष में अपने प्राण की आहुति देने वाले 20 वीर सैनिकों के घरों में मातम के दृश्य काफी हृदयविदारक हैं।
उन्होंने कहा था कि जवानों ने अपना कर्तव्य ऐसा निभाया है जिस पर परिवार व देश को गर्व है। साथ ही देश को उन जवानों पर गर्व होने की भी बात कही थी। उन्होंने कहा था:
“पीएम का यह कहना कि ’वे मारते-मारते मरे हैं’, उनकी वीरता व शहादत को पूरे देश की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि है लेकिन यह काफी नहीं है। अब केन्द्र व राज्य सरकारों का खास दायित्व बनता है कि वे उनके परिवारों को 3 माह के भीतर ही सभी मदद व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी जरूर दे। भारत सरकार दोनों देशों के बीच सीमा विवाद व तनाव को कम करने में प्रयासरत है। सरकार को अब अत्यधिक सतर्क व सूझबूझ से देशहित में कदम उठाने की जरूरत है।”
2. ऐसे कठिन व चुनौती भरे समय में भारत सरकार की अगली कार्रवाई के सम्बंध में लोगों व विशषज्ञों की राय अलग-अलग हो सकती है, लेकिन मूल रूप से यह सरकार पर छोड़ देना बेहतर है कि वह देशहित व सीमा की रक्षा हर हाल में करे, जो कि हर सरकार का दायित्व भी है। 2/2
हालाँकि, मायावती ने विश्वास जताया था कि भारत सरकार देश की आन, बान व शान के हिसाब से सही समय पर सही फैसला लेगी व देश का एक इंच जमीन भी किसी को कभी हड़पने नहीं देगी। उन्होंने कहा था कि सरकार की कमियों को भुलाकर ऐसे नाजुक समय में पूरा देश एकजुट है। अब सरकार को जनता की उम्मीद पर खरा उतरना है। मायावती ने इस मामले में बाकी विपक्षी नेताओं से अलग रुख अख्तियार किया है।
बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि भ्रामक प्रचार कभी भी कूटनीति और मजबूत नेतृत्व का विकल्प नहीं बन सकता है। उन्होंने कहा कि आज हम इतिहास के एक ऐसे नाजुक मोड़ पर खड़े हैं, जब हमारी सरकार के फ़ैसलों व उठाए गए कदम ये तय करेंगे कि भविष्य की पीढ़ियाँ हमारे बारे में क्या सोचेंगी। उन्होंने देश के नेतृत्वकर्ताओं को दायित्व निभाने की सलाह दी।
पूर्व पीएम ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में इन कर्तव्यों के निर्वहन का दायित्व देश के प्रधानमंत्री पर है। उन्होंने प्रधानमंत्री को अपने शब्दों और सम्बोधनों को लेकर सावधानी बरतने की सलाह दी। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ ‘पिछलग्गू सहयोगी’ झूठ प्रचारित कर आडम्बरों से सच्चाई को दबाना चाहते हैं। उन्होंने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री के बयान का देश के हित पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
बता दें कि इधर भारत सरकार ने सीमा पर तैनात भारतीय सेना को अपने हिसाब से कार्रवाई करने की खुली छूट दी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ हुई बैठक में सरकार ने LAC के नियमों में बदलाव किया और सेना के फील्ड कमांडरों को यह अधिकार दिया कि वह परिस्थितियों में जवानों को हथियार के इस्तेमाल की आजादी दे सकते हैं। सरकार ने हथियार और गोला बारूद खरीदने के लिए सेना के तीनों अंगों को 500 करोड़ रुपए तक की प्रति खरीद परियोजना की आपात वित्तीय शक्तियाँ दी हैं।