उच्चतम न्यायालय की रविवार को हुई विशेष सुनवाई में शिमला पुलिस द्वारा पत्रकार विनोद दुआ को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 160 के तहत जारी किए गए निर्देश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। जांच पर रोक लगाने से इनकार करते हुए पीठ ने कहा कि जांच अधिकारी (एचपी पुलिस) दुआ से कानून के अनुसार पूछताछ करने से 24 घंटे पूर्व दुआ को सूचना देंगे। कोर्ट ने राज्य सरकार से जांच की स्थिति रिपोर्ट भी मांगी है।
जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस मोहन एम शांतनगौदर की एक पीठ ने केंद्र, हिमाचल प्रदेश सरकार और पुलिस को नोटिस जारी किया। इस मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी। उच्चतम न्यायालय में याचिका पत्रकार विनोद दुआ को शिमला पुलिस ने भारतीय जनता पार्टी के नेता अजय श्याम द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए राजद्रोह के आरोप में तलब किया था।
पीठ ने दुआ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह की ओर से की गई दलीलों के बावजूद दुआ के खिलाफ जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सिंह ने कहा कि एफआईआर सरकार के प्रति अनुचित विचारों को प्रसारित करने के लिए एक उत्पीड़न है। उन्होंने कहा कि दुआ ने जो कहा यदि वह देशद्रोह है, तो देश में केवल दो चैनल ही काम कर सकते हैं। जब सिंह ने कहा कि शिकायत दर्ज करने वाले भाजपा नेता सत्तारूढ़ पार्टी के हाथों की कठपुतली हैं। इस पर पीठ ने उन्हें टोका कि ऐसे विशेषणों का उपयोग न करें। इसकी आवश्यकता नहीं है।
विनोद दुआ पर शिमला, हिमाचल में ताज़ा एफआई दर्ज हुई है। शिमला पुलिस ने भारतीय जनता पार्टी के नेता अजय श्याम द्वारा विनोद दुआ के खिलाफ लगाए गए राजद्रोह के आरोप में उन्हें तलब किया था। फरवरी में दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा पर अपने यूट्यूब शो के माध्यम से फर्जी खबर फैलाने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दुआ के खिलाफ दायर प्राथमिकी पर रोक लगाने के दो दिन बाद समन आया। शिमला में दर्ज एफआईआर भी शो से संबंधित है।
विनोद दुआ ने याचिका में पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले दिशानिर्देशों को तैयार करने की भी मांग की थी। शिकायतकर्ता अजय श्याम के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मौत और आतंकी हमलों का इस्तेमाल वोटबैंक की राजनीति के लिए करने के आरोप लगाए गए। श्याम ने दावा किया कि दुआ ने फेक न्यूज़ फैलाकर सरकार और प्रधानमंत्री के खिलाफ हिंसा भड़काई।दुआ ने इन दिशानिर्देशों के पालन करने की मांग की है जो पूर्वोक्त उद्देश्यों के लिए एक बोर्ड स्थापित करते हैं और पूर्व अनुमोदन / अनुमति को आवश्यक बनाते हैं।
शिकायतकर्ता अजय श्याम के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मौत और आतंकी हमलों का इस्तेमाल वोटबैंक की राजनीति के लिए करने के आरोप लगाए गए। श्याम ने दावा किया कि दुआ ने “फेक न्यूज़” फैलाकर सरकार और प्रधानमंत्री के खिलाफ हिंसा भड़काई। 11 जून को दिल्ली हाईकोर्ट ने विनोद दुआ के खिलाफ एक एफआईआर में जांच पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी थी, जिसमें उनके द्वारा गलत सूचना फैलाने और उनके यूट्यूब शो पर सांप्रदायिक शत्रुता फैलाने का आरोप लगाया गया है।
यह कहते हुए कि दुआ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए कोई भी प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनतादिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की एकल पीठ ने खा है कि मामले में कोई भी ऐसा आरोप नहीं है, जिसके शत्रुता, घृणा के कोई भी प्रतिकूल परिणाम हो और वेबकास्ट के परिणामस्वरूप हिंसा या शांति भंग हो।