नई दिल्ली। मई के शुरुआती सप्ताह से ही एलएसी पर चीनी सैनिकों की गतिविधियों को लेकर तनाव का माहौल था। वहीं, अब एएनआइ के सूत्रों के अनुसार चीनी गतिविधियों के शुरू होने के एक दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके वरिष्ठ कैबिनेट सहयोगी जिनमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भारतीय सेना के अधिकारी शामिल थे। उस समय, सेना ने प्रधानमंत्री और उनके कैबिनेट सहयोगियों को गलवन घाटी में पैट्रोलिंग पॉइंट 14 के पास एलएसी पर चीनी सेना की गतिविधियों और अन्य बिंदुओं पर जानकारी दी थी।
सूत्रों के अनुसार सेना 14 कोर मुख्यालय स्तर पर चीनी गतिविधियों की निगरानी कर रही थी और उस दिन से ही अपने आक्रामक हमले का मुकाबला करने के लिए खुद को तैयार करना शुरू कर दिया था। सूत्रों ने उन सुझावों को खारिज कर दिया है जिनमें कहा गया था कि तैयारियों में कमी है। जिसके कारण चीन ने लद्दाख में एलएसी के साथ निर्माण करने की अनुमति दी है, अगर सैनिकों को तैयार और तैनात नहीं किया गया होता तो चीनी दूसरे क्षेत्रों में जाने में सक्षम होते।
बता दें कि दोनों पक्षों के सैनिकों ने पिछले 8 जून को आयोजित लेफ्टिनेंट जनरल-स्तरीय वार्ता के बाद पैट्रोलिंग पॉइंट 14 (गलवन घाटी), पीपी 15 (114 ब्रिगेड क्षेत्र) और पीपी 17 (हॉट स्प्रिंग्स) के साथ अपने स्टैंड-ऑफ स्थानों से विस्थापन किया है। चुशुल में पहले से ही उन क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर तौर तरीकों पर चर्चा करने के लिए जहां पहले विवाद शुरू हुआ था।
गौरतलब है कि भारत और चीन के सैनिक मई के पहले सप्ताह से ही तनाव में हैं और कई स्तरों पर बातचीत कर चुके हैं। वहीं, अब बटालियन कमांडर के स्तर से लेकर मेजर जनरल तक दोनों देशों के मेजर जनरल-रैंक के अधिकारियों की एक बैठक 10 जून को भी आयोजित होने की उम्मीद है। फिंगर 4 से, पीपी-14 से, पीपी 15, पीपी- 17 अब ब्रिगेडियर और मेजर जनरल लेवल पर बात होगी। फिर इन पॉइंट्स पर बात होगी। दोनों तरफ से उम्मीद है कि पीपी-14, पीपी-15 और पीपी-17 से सैनिक हटाने की बात मेजर जनरल लेवल पर सुलझ जाएगी। फिंगर- 4 की स्थिति को लेकर फिर से कोर कमांडर लेवल पर बात हो सकती है।