दयानंद पांडेय
आप देख लीजिएगा जल्दी ही सपा और बसपा भी हज़ार , दो हज़ार जहाज उड़वाने का प्रस्ताव रखेंगी। कांग्रेस को आखिर अकेले माइलेज कैसे लेने देंगी। योगी सरकार को पटकनी देने में कोई पीछे क्यों रहे भला। सुना है सपा , बसपा की ऐसी तैयारी सुन कर वामपंथी साथियों ने राकेट लांचिंग का मन बना लिया है।
आखिर कांग्रेस अखिल भारतीय पार्टी है। देश भर में उस के लोग हैं। सपा , बसपा की तरह उत्तर प्रदेश ही बेस नहीं न है , कांग्रेस का। वामपंथी साथियों की भी यही दुविधा है। कांग्रेस अगर राष्ट्रीय पार्टी है तो वह अंतरराष्ट्रीय। दुनिया भर का गम उन के हिस्से है। मुश्किल यह भी कि ज़्यादातर जगहों पर क्या दुनिया में 99 फीसदी फासीवादी सरकारें ही हैं। वह करें तो क्या करें भला। कहीँ ट्रंप , कहीं मोदी। ऐसे ही पूंजीवादी और फांसीवादी शासकों से दुनिया भरी पड़ी है। ऐसे में अब फासीवादी और सांप्रदायिक तत्वों से वह संवाद भी नहीं कर सकते। फिर चीन भी उन को राकेट अगर उपलब्ध करवा देता है तो मोदी और योगी की फांस का वह क्या करें।
यह दुविधा देखते हुए एक कामरेड ने पोलित व्यूरो को सलाह दी है कि क्यों न जैसे हम कांग्रेस के लिए तमाम किसिम की आऊट सोर्सिंग करते रहते हैं तो कांग्रेस भी हमारे लिए इस काम के लिए चिट्ठी लिखने की आऊट सोर्सिंग कर दे। लेकिन पोलित व्यूरो में चर्चा की यह खबर जाने कैसे लीक हो कर सोनिया गांधी तक पहुंच गई। सो सोनिया ने संकेतों में सही , दो टूक बता दिया है कि पहले हमें कांग्रेस की ज़मीन ठीक करनी है। कांग्रेस ठीक हो जाएगी तो कम्युनिस्टों को काम खुद-ब-खुद मिल जाएगा। सो अभी हमें दूसरे , तीसरे राउंड की बसें चलाने का प्लान करना है। योगी, मोदी को जड़ से उखाड़ फेकना है। यह नायब मौक़ा है। इस को हम किसी सूरत गंवा नहीं सकते। आप लोगों की तरह हवा-हवाई राकेट नहीं प्लान करना है। हमें मज़दूरों का दिल जीत लेने दीजिए। फिर आप नारा लगा लीजिएगा , कमाने वाला खाएगा ! फिर आप को तो हम खिलाते ही रहते हैं। आगे भी खिलाते रहेंगे। सो अभी खामोश रहिए।
सोनिया के घर से बाहर निकल कर लेकिन राजीव शुक्ला ने मुलायम को फोन मिला ही दिया। मुलायम ने राजीव शुक्ल से साफ़ कह दिया कि यह सब बात अब अकलेश देखता है , उसी से बात करो तो बेहतर ! अखिलेश को भी राजीव शुक्ला ने फोन किया। लेकिन अखिलेश ने राजीव शुक्ला का फोन रिसीव नहीं किया तो नहीं किया। सूत्र बताते हैं कि अखिलेश ने वेट एंड वाच की तजवीज पर ध्यान दिया है। वह पहले कांग्रेस की बस की हवा देखेंगे। टोटी , टाइल और खदानों की फ़ाइल की रफ्तार देखेंगे। फिर कोई रफ़्तार लेंगे। चचा आज़म खान या रिश्तेदार लालू यादव की राह पर चलना उन्हें किसी सूरत गवारा नहीं। पिता मुलायम की राह को ही ठीक समझा है। कि कांख भी ढंकी रहे और मुट्ठी भी तनी रहे।
बताया जाता है कि मायावती भी जहाज उड़वाने के पहले कांग्रेस के बस का सफर और उस में आने वाली सांसत की थाह देख लेने के बाद , स्याह-सफ़ेद जान लेने के बाद ही कुछ फैसला ले सकती हैं। हालां कि वह इंतज़ार कर रही हैं कि राजीव शुक्ला उन को भी फोन करेगा। लेकिन राजीव शुक्ला ने मन बना लिया है कि वह मायावती को फोन नहीं करेंगे। तो भी मायावती ने सतीश मिश्रा को लगा दिया है कि जैसे भी हो राजीव शुक्ला का फोन उन के पास आने का बंदोबस्त करें। आखिर उत्तर प्रदेश उन की भी जागीर है और दलित उन के वोटर। यह दलित वोटर एकमुश्त कांग्रेस की तरफ जाने कैसे दे सकते हैं हम।