नई दिल्ली। कोरोना (Coronavirus) महामारी के कारण पुरे देश में लगभग दो महीने से लॉकडाउन (Lockdown) जारी है. इस कारण संसदीय समितियों की बैठकें भी नहीं हो सकीं. विपक्षी दलों के कई सांसदों और संसदीय समितियों के अध्यक्षों ने वर्चुअल मीटिंग की मांग की थी. विपक्षी नेता शशि थरूर, जयराम रमेश, अधीर रंजन चौधरी सहित अन्य कई सांसदों ने वर्चुअल बैठकें कराने की मांग की थी.
लेकिन वर्चुअल माध्यम से अत्यंत गोपनीय माने जाने वाली संसदीय समितियों की रिपोर्ट या प्रोसिडिंग लीक होने का खतरा था. इसलिय इस पर कोई फैसला नहीं हो सका था. अब जब लॉकडाउन में कई रियायतें दी गई हैं यहां तक की विमानन सेवाएं भी शुरू होने वाली हैं.
इसे देखते हुए सूत्रों के अनुसार संसदीय समितियों की 1 जून से बैठकें होने की संभावना है. बताया जा रहा है कि संसदीय समितियों के वर्चुअल बैठकें होने के आसार कम है. लेकिन विमानन सेवा शुरू होने के साथ माना जा रहा है कि सदस्य बैठकों में शामिल होने दिल्ली आ सकते हैं.
शनिवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैय्या नायडू के बीच इसी मुद्दे पर तीसरी बार बैठक होने वाली है.
संसदीय समितियों को मिनी संसद माना जाता है. इसकी प्रोसेडिंग काफी गोपनीय होती है. और इसकी रिपोर्ट संसद में रखी जाती है. यही वजह है कि विपक्षी दलों के नेताओं की मांग पर संसदीय समितियों की वर्चुअल बैठक के लिए सुरक्षित प्लेटफॉर्म की तलाश भी की गई. लेकिन उसमें निराशा हाथ लगी.
सूत्रों का कहना है कि असुरक्षित प्लेटफॉर्म से संवेदनशील सूचनाएं लीक होने का खतरा था. अब जब रेल और हवाई सेवाएं बहाल हो रही हैं. ऐसे में संसदीय समितियों के सदस्यों के आवागमन में कोई परेशानी नहीं होगी. इसलिय सूत्रों ने कहा कि 1 जून से इनकी बैठकें शुरू हो जाएंगी.
सूत्रों के अनुसार अगर कोरोना को लेकर हालात नियंत्रण में रहे तो संसद का मॉनसून सत्र अपने पूर्व के समयों के अनुसार हो सकता है. यानि जुलाई के तीसरे या अंतिम सप्ताह में संसद के मॉनसून सत्र की बैठक बुलाई जा सकती है.