वाशिंगटन। चीन और भारत के संबंध धूप-छांव से हैं । इन दिनों कोरोना वायरस के कारण चीन दुनिया के निशाने पर है, उस पर भारत से सीमा विवाद उसके लिए और मुश्किल खड़ी कर रहा है । लद्दाख और सिक्किम से लगी चीन की सीमा पर तनावपूर्ण घटनाक्रमों के बीच अमेरिका ने भारत का समर्थन किया है । इसके साथ ही अमेरिका ने ये भी कहा है कि इस तरह के विवाद हमें चीन की ओर से पैदा हो रहे खतरे की याद दिलाते हैं ।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय में दक्षिण और पश्चिम एशिया विभाग की प्रमुख एलिस वेल्स ने कहा – “चीन के उकसावे और परेशान करने वाले रवैये के खिलाफ एक जैसी सोच रखने वाले देश अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और आसियान सदस्य एक साथ आ गए हैं.” वहीं अमेरिका की शीर्ष राजनयिक ने भारत की अफगानिस्तान में भूमिका को लेकर भी बात की । वेलस् ने कहा कि यह फैसला नई दिल्ली को करना होगा कि वह तालिबान के साथ प्रत्यक्ष संपर्क में आना चाहता है या नहीं । हालांकि, उन्होंने सुझाव भी दिया कि काबुल की नई सरकार में तालिबान शामिल होने जा रहा है, ऐसे में अफगानिस्तान की भावी सरकार के साथ भारत के ‘स्वस्थ संबंध’ होने जरूरी हैं ।
वहीं भारत और चीन के बीच मौजूदा तनाव के सवाल पर वेल्स ने कहा – “सीमा पर तनाव की घटनाएं इस बात को याद दिलाते हैं कि चीनी अतिक्रमण का खतरा असली है । चाहे वह दक्षिण चीन सागर हो या भारतीय सीमा, हम लगातार चीन की तरफ से उकसावे और तनाव बढ़ाने वाली हरकतें देखते हैं. चीन के इस रुख से भी यह भी सवाल पैदा होता है कि चीन किस तरह से अपनी बढ़ती ताकत का इस्तेमाल करना चाह रहा है।” वेल्स ने आगे कहा, “हम चाहते हैं कि एक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था हो जिससे सभी को फायदा हो, ना कि ऐसी वैश्विक व्यवस्था जिसमें चीन का आधिपत्य हो। मुझे लगता है कि इस तरह सीमा विवाद चीन के खतरे के प्रति आगाह करते हैं।”
वेल्स ने चीन को लेकर आगे बड़ी बात कही – “चीन की गतिविधियों ने एक तरह की सोच रखने वाले देशों को एकजुट कर दिया है । चाहे वह आसियान देश हों या कूटनीतिक संगठन । अमेरिका, जापान, भारत की तिकड़ी है और ऑस्ट्रेलिया भी हमारे साथ है । पूरी दुनिया में चीन को लेकर बातचीत शुरू हो गई है।”