राहुल कुमार गुप्त
कोरोना से लड़ने के लिये सब गंभीर हैं क्या जनता-क्या जनप्रतिनिधि! सभी इस महायुद्ध में कुछ न कुछ बेहतर तरीके से लड़ने के लिये सुझाव व विचार दे रहे हैं तथा उसे अमल में भी ला रहे हैं। इस महायुद्ध के बड़े दुष्प्रभाव को अप्रभावित करने के लिये उत्तर प्रदेश के बाँदा विधानसभा क्षेत्र में संगठित तरीके से जरूरतमंदों की मदद जारी है। इस आलेख में बाँदा सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी के विचारों व कार्यों को दर्शाया गया है। जो वास्तव में इस विपदा काल में पूरे देश के लिये अनुकरणीय है। उन्होंने बताया कि कोरोना ने बहुत कुछ सोचने और समझने के लिये मानव को विवश किया है।
कोरोना ने बहुत कुछ सोचने और समझने के लिये मानव को विवश किया है। कोविड-19 के आने के बाद हम सबको ही लगने लगा है कि अब हम सबको अपनी दिनचर्या से संबंधित, बाजार से, राजनीति से, व्यापार से तथा अन्य जितनी भी आवश्यकताएं हैं शायद सब से संबंधित ही परिवर्तन करने पड़ सकते हैं। हम एक परिवर्तन की ओर बढ़ रहे हैं। परिवर्तन प्रकृति का नियम है और यह सब पर लागू होता है। भारत में भी स्थितियाँ चिंताजनक होती जा रही हैं। लॉकडाउन में भी 40 हजार पार हो जाना अचंभित करता है। सरकार की इतनी सक्रियता के बाद इसके फैलने की दर जरूर कम है लेकिन जितनी है वो भी चिंताजनक है।
दूरगामी प्रभावों से भी बचाव के लिये रहें तैयार हम:- प्रकाश द्विवेदी
यहाँ कि आबादी इतनी ज्यादा है कि अगर कम्युनिटी स्टेज पर यह वायरस पहुँचा तो भारत में हाहाकार मच सकता है। जनता से अपील है कि भारत को इस महायुद्ध में जिताने के लिये आप को केवल सरकारी गाईडलाईन का पालन करते हुए घर में ही रहना है, जिससे आप सब सुरक्षित रह सकें। एक बात थोड़ा सा संतोषजनक यह है कि यहाँ के कोरोना पीड़ित लोगों के ठीक होने की संख्या बहुत ज्यादा है जबकि मरने वालों की संख्या अपेक्षाकृत बहुत कम है। कुछ क्वारंटीन सेंटरों में बहुत सी अव्यवस्थाएं भी सुनने को मिल रही हैं और कई जगह सुविधाएं भी। जहाँ अव्यवस्थाएं हैं वहाँ के कर्मचारियों पर सख्ती की जानी चाहिए। जैसे-जैसे जाँचें बढ़ रही हैं वैसे-वैसे मरीजों की संख्या भी बढ़ती नज़र आ रही है। जनता सरकार के साथ हर तरह से खड़ी है और सरकार भी जनता के दुःख में उनके साथ। यह ऐसा युद्ध है जिसमें घर में रहकर हम सैनिक का कार्य कर सकते हैं। जरूरत के समान के लिये हेल्पलाईन नंबर सरकार ने जारी कर रखे हैं तथा हर क्षेत्र में तमाम जनप्रतिनिधियों व मददगारों ने भी। इसलिये भय और किसी चीज के लिये परेशान होने के तनाव से भी बचना होगा। हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने शुरूआती दौर पर देश की जनता से बहुत ही विनम्र निवेदन किया था कि लॉकडाउन का व सरकारी गाईडलाईन का पालन ही देश को कोरोना के कहर से बचा सकता है। इस लॉकडाउन से करोड़ो लोगों की आजीविका पर गाज गिरी है। बहुत से लोगों को बहुत सी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। इन सबके बावजूद जनता कोरोना से जंग लड़ने के लिये सरकार के साथ है और यह इसलिये संभव है कि देश एक सही हाथों पर है। मोदी जी ही एक ऐसे नेता हैं जिन्हें जनता सबसे ज्यादा स्नेह करती है व उन पर विश्वास करती है। उनसे ही प्रेरित होकर हम लोग भी निष्ठा के साथ मानव सेवा में लगे हुए हैं। मदद का तरीका कुछ तकनीकी व संगठित आधार पर होना चाहिए।
अब सभी जिलों पर मदद करने वाले लोग अपने-अपने क्षेत्रों में संगठित होकर शासन-प्रशासन के माध्यम से किसी एक के नेतृत्व में मदद अभियान शुरू करने की पहल करें। दलवाद छोड़कर इस वक्त सभी विधानसभा क्षेत्रों में विधायक व अन्य सभी जनप्रतिनिधियों को एकसाथ मिलकर आने की जरूरत है। जिससे किसी एक को ही बार-बार लाभ न मिले और वास्तविक रूप से मदद चाहने वाले लोग रह न जायें। इस प्रक्रिया को अपनाने पर हम लंबे समय तक इस युद्ध में उत्साह के साथ डटे रह सकते हैं और वास्तविक रूप से लोगों की मदद कर सकते हैं। इस प्रक्रिया की शुरुआत उत्तर प्रदेश के बाँदा विधानसभा क्षेत्र में हो चुकी है। यहाँ मदद का तरीका बहुत ही संगठित है जिससे जरूरतमंदों के अंदर न वर्तमान में भय है न भविष्य के लिये। बहुत से लोग बाहर से आये हैं अपना सबकुछ छोड़कर, तथा कई लोग पहले से ही क्षेत्र में मौजूद थे जो रोज कमाकर खाने वाले थे। इन सबको चिह्नित करना जरूरी है। साथ में उन लोगों को भी जो निम्न मध्यवर्गीय परिवार से आते हैं। एक विधानसभा क्षेत्र के सभी जनप्रतिनिधियों को दलवाद छोड़कर एकमंच पर आना होगा। जिससे यह महायुद्ध में बिना बहुत कुछ खोये भारत विजयी हो सके। इस जंग के बाद भी समस्याएं विकराल नहीं होंगी। कुछ फंडिंग तब के लिये भी रख सकें कि इनको इस जंग के बाद भी स्वरोजगार के लिये कुछ मदद कर सकें। सरकार अपने तरीके से जो मदद कर रही है वो तो है ही हम सब मददगार भी मानवता के लिये भारत के लिये तो एकजुट हैं ही। यही मदद भारत की रीढ़ को मजबूती प्रदान करेगी। किसको कितनी मदद मिली, किसने कितनी मदद की इस सबका भी डाटा होना चाहिए। क्योंकि अगर यह अदृश्य महायुद्ध लंबा खिंचा तब उस वक्त के लिये भी हम लोगों को ऊर्जा व उत्साह बचा कर रखना होगा। इसलिये मदद बहुत ही संगठित तरीके से होनी चाहिए। यह भारत के लिये गर्व की बात है कि सब अपने नागिरक होने का फर्ज भी निभा रहे हैं। हाँ! कुछ भ्रमित लोगों को छोड़कर। ऐसे लोगों को समझाया जा सकता है और समझाने के लिये सभी समाज के प्रबुद्ध लोगों को आगे आना पड़ेगा। विपक्ष लोगों में भय जरूर उत्पन्न कर रहा है। यह भय उत्पन्न करने की बजाय अभी उत्साह भरने का समय है। सरकार बहुत अधिक हानि नहीं होने देगी। कोरोना का प्रभाव कम होने के बाद भी हमें बहुत ही सचेतता अपनानी पड़ेगी। हो सकता है इसकी दवा या वैक्सीन बाजार में जल्द आ जाये या हो सकता है कुछ देर में आये। लेकिन उसके बाद भी कुछ वर्षों तक के लिये तो सुरक्षा व बचाव अपनाने पड़ेंगे। सरकार जरूर ऐसे कई उपाय समय-समय पर निकालेगी, जिससे जनता इस जंग के बाद भी भय में न रहे। व्यापारों का आकार ऑनलाईन के माध्यम से तेजी पकड़ सकता है। इस माध्यम का प्रयोग मध्य मध्यवर्गीय से उच्च वर्गीय लोगों के बीच में तेजी पकड़ेगा। देश की करीब 40 फीसदी आबादी तब भी परंपरागत तरीकों से ही जीवन यापन करेगी। क्योंकि उनके पास साधन नहीं है, न ही ज्ञान और न ही ई बटुआ और न ही जेब में उचित रूपये। लेकिन ये बड़ी आबादी भी सोशल डिस्टेंसिंग व सरकारी गाईडलाईन का पालन करते हुए भी इस महासंक्रमण इस महायुद्ध से अपने भारत को जरूर बचाने में कामयाब होंगे। युग परिवर्तन की संभावना से नकारा नहीं जा सकता, हम सबको खुद के लिये व देश के लिये बदलना होगा। मास्क, सैनेटाईजर, सोशल डिस्टेंसिंग आदि तो कुछ वर्षों तक अपनाने में ही भलाई है। हाँ! सरकार जरूर कोशिश करेगी कि कई चीजों में परिवर्तन हो जिससे आने वाले कल को सुरक्षित रखा जा सके और ऐसे लॉकडाउन का दुष्प्रभाव फिर भारतीय समाज को न झेलना पड़े।