नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। जस्टिस एनवी रमना की अगुआई वाली पांच सदस्यीय पीठ ने 23 जनवरी की सुनवाई में याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित कर लिया था। सोमवार को फैसला आ सकता है। यह भी संभव है कि मामला बड़ी पीठ के पास सुनवाई के लिए भेज दिया जाए।
केंद्र सरकार ने कहा- हालात में बदलाव के लिए अनुच्छेद 370 हटाना एकमात्र विकल्प था
केंद्र ने पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला किया था। फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में केंद्र सरकार ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर के हालात में बदलाव के लिए अनुच्छेद 370 हटाना ही एकमात्र विकल्प था। इस अनुच्छेद को हटाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है और भविष्य में भी यह बरकरार रहने की उम्मीद है।
याचिकाकर्ताओं ने मामले को वृहत पीठ के समक्ष भेजे जाने का किया अनुरोध
गैर-सरकारी संगठन पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज, जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन और कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं ने मामले को वृहत पीठ के समक्ष भेजे जाने का भी अनुरोध किया है।
वेणुगोपाल ने कहा था- अलगाववादी अलग राज्य चाहते हैं
इससे पहले कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने जनमत संग्रह पर दलीलें पेश करते हुए कहा था कि अलगाववादी वहां जनमत संग्रह का मुद्दा उठाते आए हैं, क्योंकि वह जम्मू कश्मीर को अलग संप्रभु राज्य बनाना चाहते हैं। वेणुगोपाल ने कहा था कि अलगाववादी अलग राज्य चाहते हैं, जिसको सही नहीं ठहराया जा सकता है।
रेफरेंडम कोई समाधान नहीं
अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत से मदद इसलिए मांगी थी, क्योंकि वहां विद्रोही घुस चुके थे। वहां पर आपराधिक घटनाएं हुईं थीं। अलगाववादियों को पाकिस्तान से ट्रेनिंग देकर बर्बादी करने के लिए जम्मू-कश्मीर भेजा था। वेणुगोपाल ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह कोई भी स्थाई समाधान नहीं था।