नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में शुक्रवार को दो बड़े बदलाव हुए. नृपेंद्र मिश्रा (Nripendra Misra) प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पद से सेवामुक्त हो गए हैं. वहीं पीके सिन्हा को ओएसडी नियुक्त किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ट्वीट कर कहा, ‘2019 के चुनाव नतीजे आने के बाद नृपेंद्र मिश्रा (Nripendra Misra) ने खुद को प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पद से सेवामुक्त किए जाने का अनुरोध किया था. तब मैंने उनसे वैकल्पिक व्यवस्था होने तक पद पर बने रहने का आग्रह किया था. अब नृपेंद्र मिश्रा (Nripendra Misra) के सेवामुक्त होने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है. वह अपनी इच्छा के अनुरूप सितंबर के दूसरे हफ्ते से कार्यमुक्त हो जाएंगे. आगे के लिए उन्हें बहुत-बहुत शुभकामनाएं.’
पीएम मोदी ने अपने एक और ट्वीट में कहा, ‘2014 में जब मैंने प्रधानमंत्री के रूप में दायित्व संभाला, तब मेरे लिए दिल्ली भी नई थी और नृपेंद्र मिश्रा (Nripendra Misra) भी नए थे. लेकिन दिल्ली की शासन-व्यवस्था से वे भली-भांति परिचित थे. उस परिस्थिति में उन्होंने प्रिंसिपल सेक्रेटरी के रूप में अपनी बहुमूल्य सेवाएं दीं. उस समय उन्होंने न सिर्फ व्यक्तिगत रूप से मेरी मदद की, बल्कि 5 साल देश को आगे ले जाने में, जनता का विश्वास जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. एक साथी के रूप में 5 साल तक हमेशा उन्होंने साथ दिया.’ वहीं पीएमओ में ओएसडी नियुक्त हुए पीके सिन्हा उत्तर प्रदेश कैडर के 1977 बैच के रिटायर्ड IAS हैं.
सेवामुक्त होने की घोषणा के बाद नृपेंद्र मिश्रा (Nripendra Misra) ने अपने इस फैसले पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम करना बेहद अच्छा रहा. पीएम ने मुझे अवसर दिया इसके लिए आभारी हैं. मेरे लिए अब आगे बढ़ने का समय है. मैं जनहित से जुड़े मामलों में हमेशा पहले की तरह सक्रिय रहूंगा.
यूपी के देवरिया के रहने वाले हैं नृपेंद्र मिश्रा (Nripendra Misra)
नृपेंद्र मिश्रा (Nripendra Misra), उत्तरप्रदेश कैडर के 1967 बैच के IAS अधिकारी हैं. 1945 में जन्मे मिश्रा ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एमए किया है. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से भी उन्होंने एमए की डिग्री ली है. नृपेंद्र मिश्र पहले भी कई मंत्रालयों के साथ ही महत्व के कई पद संभाल चुके हैं. मूलरूप से देवरिया के रहने वाले नृपेंद्र मिश्रा (Nripendra Misra) की छवि तेज तर्रार और ईमानदार आईएएस अफसर की रही है. वह यूपी के मुख्य सचिव भी रह चुके हैं. मुलायम सिंह यादव और कल्याण सिंह जैसे नेताओं से भी उनकी करीबी रही है. यूपीए सरकार के दौरान वह ट्राई के चेयरमैन रह चुके थे. ऐसे में सरकार ने उनकी नियुक्ति के लिए नियमों में बदलाव किए थे.
नृपेंद्र मिश्रा (Nripendra Misra) की अगुवाई में ट्राई ने अगस्त 2007 में सिफारिश की थी कि स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं की जानी चाहिए. मिश्रा 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में कथित अनियमितताओं के मामले की सुनवाई में दिल्ली की एक अदालत में अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में पेश हो चुके हैं.