नई दिल्ली। कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार अपना विश्वासमत साबित नहीं कर पाई और गिर गई. एचडी कुमारस्वामी अपनी पार्टी और कांग्रेस विधायकों की बगावत के चलते सरकार गंवा बैठे. 2018 में सरकार बनाने के बावजूद यह गठबंधन सरकार डगमगाती रही.
असल में, 2018 में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 104 सीटें जीती और बहुमत से मात्र 9 सीटें दूर रह गई. कांग्रेस को 80 सीटें और जेडीएस को 37 सीटें मिलीं थी.
इसी क्रम में 17 मई 2018 को बीजेपी के नेता बीएस येदियुरप्पा ने सरकार बनाने का दावा पेश किया और मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. लेकिन येदियुरप्पा बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा नहीं जुटा पाए और अपने पद से 19 मई 2018 को इस्तीफा दे दिया. चुनाव बाद कांग्रेस के साथ हुए समझौते के तहत 23 मई 2018 को एचडी कुमारस्वामी को फिर से राज्य का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला.
बताया जाता है कि जेडीएस और कांग्रेस के गठबंधन से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया नाखुश थे. उन्होंने उस दौरान तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सलाह दी कि वह गठबंधन खत्म कर दें लेकिन राहुल गांधी ने ऐसा नहीं किया.
बहरहाल, नए साल की शुरुआत में 15 जनवरी 2019 को कांग्रेस के सात विधायकों ने पार्टी छोड़ने की धमकी दी. इन विधायकों को पवई के एक होटल ले जाया गया.
4 जून 2019 को एएच विश्वनाथ ने जेडीएस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार और मुख्यमंत्री कुमारस्वामी पर कई तरह के आरोप लगाए. एक तरह से कहा जा सकता है कि कांग्रेस जेडीएस सरकार पर ग्रहण उसी दिन लग गया था.
बता दें कि कर्नाटक में ताजा राजनीतिक संकट की शुरुआत 6 जुलाई 2019 को हुई तब हुई जब जेडीएस और कांग्रेस के 12 विधायकों ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. इससे पहले कांग्रेस के विधायक आनंद सिंह ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा दिया था.
इन 13 विधायकों के बाद निर्दलीय विधायक नागेश ने भी इस्तीफा दे दिया. नागेश मुंबई के लिए रवाना हो गए जहां पहले से ही कांग्रेस-जेडीएस के बागी विधायक एक होटल में ठहरे हुए थे. निर्दलीय विधायक नागेश ने गवर्नर को पत्र लिखकर कांग्रेस-जेडीएस सरकार से समर्थन वापस लेने के साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि यदि बीजेपी समर्थन मांगती है तो वह उसके साथ हैं.