नई दिल्ली । पुलवमा में हुए आतंकी हमले के 13 दिन बाद आखिरकार भारत ने वो कर दिखाया जिसको लेकर जनमानस में भावनाएं उठ रही थीं। पाकिस्तान के अंदर घुसकर भारतीय वायुसेना ने जैश ए मुहम्मद के ठिकानों पर जबरदस्त गोलाबारी की है। इस बार पाकिस्तान ने भी माना है कि भारत के विमानों ने गुलाम कश्मीर में बम बरसाए हैं। हालांकि डीजी आईएसपीआर मेजर जनरल गफूर का ट्वीट कर इसको भारतीय वायु सेना के विमानों द्वारा अंतरराष्ट्रीय सीमा का उल्लंघन बताया है। साथ ही कहा है कि भारतीय विमानों ने बालाकोट में कुछ बम गिराए हैं, हालांकि इससे किसी भी तरह के जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है। वहीं भारत की तरफ से कहा जा रहा है कि इस हमले में करीब 200-300 आतंकियों को ढेर किया गया है।
मिराज 2000 का कमाल
भारतीय वायुसेना ने मिराज 2000 से जो बम बरसाए वह लेजर गाइडेड बम थे। मिराज 2000 का इस्तेमाल इससे पहले कारगिल युद्ध के दौरान किया गया था। यह लड़ाकू विमान हाई-एल्टीट्यूड से बम गिराने में माहिर है। आपको यहां पर बता दें कि 1971 के बाद यह पहला मौका है जब भारतीय वायुसेना के विमानों ने पाकिस्तान के एयरस्पेस में घुसकर हमला किया है। अलग-अलग सूत्रों की मानें तो मिराज 2000 के ये विमान ग्वालियर, बरेली और पठानकोट से उड़े थे। हालांकि सरकार की तरफ से इसको लेकर अब तक कुछ नहीं कहा है। लेकिन जिस बम को लेकर बात की जा रही है आखिर वह कौन सा बम है। इस बारे में हम आपको बता रहे हैं।
सुदर्शन है वह बम जिसने मचाई पाक में तबाही
जहां तक भारत की बात है तो भारत ने पहली बार अक्टूबर 2010 अपने पहले लेजर गाइडेड बम सुदर्शन को तैयार किया था। यह बम आईआरडीई द्वारा डीआरडीओ की लैब में तैयार किया गया था। यह बम बेहद घातक है। यह देश का पहला पूरी तरह से स्वदेशी लेजर गाइडेड बम है। इसको खासतौर पर वायुसेना के लिए ही तैयार किया गया है। डीआरडीओ ने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत वर्ष 2006 में की थी। इसका मकसद एक ऐसी एडवांस्ड लेजर गाइडेड किट को डेवलेप करना था जो 450 किग्रा के बम को सटीक जगह पर गिराने में कामयाब हो। आपको यहां पर ये भी बता दें कि इस बम को बनाने में आईआईअी दिल्ली और बीईएल की भी भूमिका है।
भारत के पास है इतने लेजर बम
इस बम का सबसे पहला परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर में 21 जनवरी 2010 में किया था। इसके अलावा 9 जून 2010 को पोकरण टेस्ट रेंज में दोबारा इसका परीक्षण किया गया था। इसके बाद भी इस बम की सटीकता को अधिक से अधिक बढ़ाया गया। सुदर्शन को पहली बार भारतीय वायुसेना की मिग 27 यूनिट में शामिल किया। इसके अलावा जेगुवार में भी इसको शामिल किया गया। बाद में सुखोई, मिराज 2000 और मिग 29 में भी इसको शामिल कर लिया गया। वर्तमान में सुदर्शन एयरफोर्स के साथ नेवी में भी शामिल है। डीआरडीओ करीब 50 सुदर्शन लेजर गाइडेड बम सप्लाई कर चुका है। इतना ही नहीं एयरोनॉटिकल डेवलेपमेंट इस्टेबलिशमेंट एडीई नेक्सट जनरेशन के लेजर गाइडेड बम बनाने में जुटा है। सुदर्शन बम की बात करें तो इसकी रेंज करीब नौ किमी है। अब एडीई इसकी रेंज 50 किमी तक बढ़ाने पर काम कर रही है।
अमेरिका ने सबसे पहले बनाया था
मिराज 2000 को थॉमसन-सीएसएफ ने लेजर डेजिगनेटर पॉड जिसको एटलिस के नाम से जाना जाता है, के साथ सप्लाई किए गए थे। इनकी खासियत है कि यह हजार किलो तक के लेजर गाइडेड बम को सफलतापूर्वक ड्रॉप कर सकते हैं। यह काफी महंगा तो है लेकिन यह टार्गेट पर सटीक हमला करने में अचूक है। आपको यहां पर बता दें कि लेजर गाइडेड बम बेहद सटीक निशाना लगाने में सक्षम हैं। इसको सबसे पहली बार वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिका ने तैयार किया था। इसके बाद इसको रूस, ब्रिटेन और फ्रांस ने बनाया था। जैसा इनका नाम है उसी तरह से इनका काम भी है। दरअसल यह बम एक न दिखाई देने वाली रोशनी के माध्यम से काम करता है। यही उनका टार्गेट भी होता है। वियतनाम युद्ध में भी लेजर गाइडेड बमों ने काफी अहम भूमिका निभाई थी।