नई दिल्ली: कांग्रेस के कश्मीरी नेता सैफुद्दीन सोज ने विवादित बयान देते हुए कहा है कि अगर कश्मीर से संविधान का अनुच्छेद 370 हटेगा तो कश्मीर का रिश्ता भारत के साथ ख़त्म हो जायेगा. उन्होंने ये भी कहा कि ये समझ में नहीं आ रहा की कश्मीर में इतनी फौज तैनात क्यों की जा रही है? इतनी जरूरत नहीं है. इससे कश्मीर के लोग चौंक जाते हैं. उन्होंने कहा कि 35 A खत्म होने के साथ अनुच्छेद 370 अपने आप खत्म हो जाएगा.
उन्होंने आरएसएस पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट में जाकर 35A, 370 ख़त्म करवाना चाहता है. ये टेढ़ी सोच के लोग हैं. आरएसएस ने पहले ही देश को नुकसान पहुंचाया है. सुप्रीम कोर्ट में 370 के संबंध में याचिका किसने दी है. इसके साथ ही जोड़ा कि 2019 में इससे कोई फायदा नहीं होने वाला है. 2019 में शासन बदलेगा.
सोज ने कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर के साथ रिश्ता खत्म होगा तो लोग विरोध करेंगे. अगर इसके साथ छेड़खानी हुई तो हम, फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती लाल चौक से विरोध करेंगे. हमारा रिश्ता सेक्युलर भारत से है. नफरत के सौदागरों के साथ रिश्ता नहीं रहा है.
इस बीच पीपुल्स कान्फ्रेंस अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने कहा है कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक को जम्मू-कश्मीर में लागू संवैधानिक प्रावधानों के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए. लोन ने इसके साथ ही मलिक से ऐसा कोई भी निर्णय लेने से परहेज करने को कहा जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं. लोन जम्मू कश्मीर की पूर्ववर्ती पीडीपी नीत राज्य सरकार में भाजपा के कोटे से एक मंत्री थे. उन्होंने कहा कि राज्यपाल या राष्ट्रपति शासन सरकार के दिन प्रतिदिन के कार्यों के लिए एक अस्थायी उपाय है.
लोन ने कहा, ‘‘राज्यपाल से ऐसा कोई प्रमुख नीतिगत निर्णय लेने की अपेक्षा नहीं की जाती जो कि केवल एक निर्वाचित सरकार का विशेषाधिकार है. किसी भी तरह से राज्यपाल या राष्ट्रपति उन संवैधानिक प्रावधानों के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकते या नहीं करनी चाहिए जिससे जम्मू कश्मीर राज्य के केंद्र के साथ संवैधानिक संबंध स्थायी रूप से प्रभावित हों.’’
उन्होंने कहा कि राज्य के लिए लागू संवैधानिक प्रावधानों से राज्यपाल प्रशासन द्वारा छेड़छाड़ एक खतरनाक चलन है, जिसके केंद्र के साथ राज्य के संवैधानिक रिश्तों के संबंध में गंभीर प्रभाव होंगे. उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने हाल में न केवल संविधान के 103वां संशोधन कानून, 2019 को बल्कि संविधान के 77वें संशोधन कानून, 1995 को भी जम्मू-कश्मीर में लागू करने की सिफारिश की. उन्होंने कहा कि राज्यपाल की सिफारिशों पर राष्ट्रपति ने कुछ दिन पहले इस संबंध में आदेश जारी किये.